वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 22 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 22 जनवरी को, संत हेनरिक के पर्व दिवस पर, वार्षिक तीर्थयात्रा हेतु रोम आये फिनलैंड के ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक प्रयासो से संलग्न प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 30 वर्षों पूर्व ख्रीस्तीय एकता वर्द्धक तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर कहा था, ″वास्तव में आप सभी का एक साथ मिलकर यहाँ आना ही एकता हेतु महत्वपूर्ण पहल का साक्ष्य है। यह दिखाता है कि ईश्वर की कृपा द्वारा ही इस एकता को प्राप्त किया जा सकता है। आप जो विश्वास के धर्मसार की प्रार्थना दुहराते हैं वह समस्त ख्रीस्तीय समुदाय के विश्वास को दर्शाता है।″
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, ″आपकी यात्रा ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना के सप्ताह में पड़ती है। इस वर्ष एकता प्रार्थना की विषयवस्तु समारी स्त्री को कहे गये ख्रीस्त के वचन पर आधारित है, ″मुझे पीने को दो।″ (यो.4꞉1-42)
संत पापा ने कहा, ″सभी कृपाओं के स्रोत स्वयं प्रभु हैं तथा यह कृपा उन सभी में परिवर्तन लाती है जो उसे स्वीकार करते हैं। वह उन्हें सच्चे जीवन का साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु प्रेरित करती है। जैसा कि सुसमाचार हमें बतलाता है कि उस समारी स्त्री के कहने पर कई लोगों ने विश्वास किया था।″
संत पापा ने कहा कि आज की दुनिया में जहाँ अविश्वास, असुरक्षा, उत्पीड़न, दर्द और ख्रीस्तीयों पर अत्याचार सभी ओर फैला हुआ है ऐसे समय में ख्रीस्तीयों को एक साथ साक्ष्य प्रस्तुत करने की अति आवश्यकता है।
संत पापा ने सलाह देते हुए कहा कि इस साक्ष्य को कलीसियाओं के बीच धार्मिक वार्ता द्वारा पोषित एवं प्रोत्साहित किया जा सकता है।
संत पापा ने लूथेरन एवं काथलिकों के तीर्थयात्री दल को शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए कहा कि उनकी इस यात्रा द्वारा उनके बीच आपसी संबंध मज़बूत हो तथा वे पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर प्रेम एवं एकता के रास्ते पर अग्रसर हों।
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