2015-01-21 13:55:00

एशियाई देशों में प्रेरितिक यात्रा का सारांश


वाटिकन सिटी, बुधवार 21 जनवरी, 2015 (सेदोक, वी.आर.)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर 21 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पापा पौल षष्ठम सभागार में, संत अग्नेस के पर्व दिवस पर प्रस्तुत मेमनों को आशीष दी तथा एकत्रित तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने श्रीलंका एवं फिलीपींस में अपनी प्रेरितिक यात्रा का सारांश प्रस्तुत करते हुए इतालवी भाषा में कहा,  ″ प्रिय भाइयो एवं बहनो, विगत दिनों श्रीलंका एवं फिलीपींस में मेरी प्रेरितिक यात्रा, वहाँ के ख्रीस्तीय समुदायों से मेरी एक आनन्दमय मुलाकात थी। श्रीलंका में मैंने महान मिशनरी संत जोसेफ वाज़ को संत घोषित किया। उनकी उदारता का उदाहरण आज भी विश्वासियों को ग़रीबों की सेवा करने एवं अन्य धर्मों के साथ सम्मानपूर्ण संबंध बनाने हेतु प्रेरित करता है।

श्रीलंका आज भी लम्बे सिविल संघर्ष के परिणामों से पीड़ित है। विभिन्न धर्मगुरूओं के साथ मुलाकात में मैंने उनसे आग्रह किया कि चंगाई, शांति एवं मेल-मिलाप के अग्रदूत के रूप में वे मिलकर एक साथ काम करें।

फिलीपींस में यह यात्रा योलान्डा समुद्री तुफान से तबाह लोगों के प्रति मेरी सहानुभूति की अभिव्यक्ति थी। ताकलोबान में हमने, ईश्वर की करूणा को, हमारी आशा के रूप में मनाया जो कभी निराश होने नहीं देती। मनीला में मैंने लोगों को अपने परिवारों की देखभाल एवं रक्षा करने की सलाह दी जो किसी समाज में परिवारों का मौलिक कर्तव्य तथा ईश्वर की पवित्र योजना होती है।

युवाओं के साथ मुलाकात में मैंने उन्हें एक अखंड तथा ग़रीबों के प्रति उदार समाज के निर्माण हेतु चुनौती दी। यात्रा के अंत में मैंने फिलीपींस के सभी लोगों को उनके संरक्षक बालक येसु को सौंप दिया तथा उन्हें प्रोत्साहन दिया कि एशिया महाद्वीप में सुसमाचार प्रचार के बहुमूल्य गवाह को वे बनाये रखें।

इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत उन्होंने भारत, इंगलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड, जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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