पालो, शनिवार, 17 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने फिलीपींस के पालो स्थित ‘हमारे प्रभु के रूपांतरण’महागिरजाघर में, शनिवार 17 जनवरी को फिलीपींस के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों, गुरूकुल छात्रों एवं समुद्री आंधी की चपेट से बचे परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए संदेश अर्पित किया।
संदेश इस प्रकार है, ″प्रिय भाइयो एवं बहनो,
मैं बड़ी आत्मीयता के साथ प्रभु में आप सभी का अभिवादन करता हूँ। मुझे खुशी है कि हम प्रभु के रूपांतरण को समर्पित महागिरजाघर में मुलाकात कर रहे हैं। प्रार्थना का यह घर, कई अन्य घरों के संग मरम्मत कर लिया गया है, इसके मरम्मत में मदद करने वाले उदार लोगों को धन्यवाद। पुनःनिर्माण हेतु अथक प्रयास के प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में यह अब खड़ा है जिसे आप और आपके पड़ोसियों ने आंधी योलान्डा की वजह से तबाही के मद्देनजर किया है। यह इस बात का भी ठोस स्मारक है कि आपदा और पीड़ा के बीच भी, हमारे ईश्वर लगातार क्रियाशील हैं तथा सब कुछ को नवीकृत कर रहे हैं।
आप में से कई लोगों ने घोर कष्ट उठाया है न केवल आंधी की तबाही से किन्तु प्रियजनों एवं मित्रों को भी खोकर। हम उन सभी मृत भाई-बहनों को प्रभु की करुणा तले समर्पित करें तथा उसके कारण अब तक विलाप कर रहे लोगों की सांत्वना एवं दिलासा हेतु ईश्वर से प्रार्थना करें। हम विशेषकर, उन लोगों की याद करें जिनका दर्द असह्य है। हम उन लोगों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें जिन्होंने उन महीनों में मलबे हटाने का काम किया, बीमारों एवं मृत्यु शय्या पर पड़े लोगों से मुलाकात की है, दुखियों को सांत्वना एवं मृतकों को दफनाया है। विश्वभर के बहुत सारे लोगों ने उनके प्रति भलाई और उदारता प्रदर्शित की है जो इस बात का प्रमाण है कि ईश्वर हमें कभी नहीं छोड़ते।
यहाँ, मैं विशेषकर, उन पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस अत्यधिक गर्म क्षेत्र में लोगों की आवश्यकता को बड़ी उदारता से पूरी करने की कोशिश की। आपकी उपस्थिति एवं उदारता द्वारा आपने सुसमाचार की सच्चाई एवं सुन्दरता को प्रकट किया है। आपने कलीसिया को आशा, चंगाई एवं करूणा के स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया है। अपने गहरे विश्वास एवं फिलीपींस के लोगों के प्रति समपर्ण का परिचय दिया है। इन काले दिनों में भलाई एवं आत्मत्याग के कई उदाहरण हैं जिन्हें याद किया जाना तथा अगली पीढ़ी को बतलाया जाना चाहिए।
ग़रीबों के नये केंद्र जिसकी आशीष मैंने की वह भी कलीसिया का अपने भाई-बहनों की ज़रूरतों के प्रति चिंता का एक दूसरा प्रमाण है। ईश्वर आपसे कितना प्रेम करते हैं। सबसे अधिक पीड़ा एवं मानवीय अभाव के स्थल से आज मैं आग्रह करता हूँ कि ग़रीबों के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। सबसे बढ़कर, मैं कामना करता हूँ कि इस देश के सभी ग़रीबों के प्रति न्याय बरता जाए, उनकी प्रतिष्ठा का सम्मान हो, राजनैतिक एवं आर्थिक नीतियाँ न्याय संगत हों, नौकरी एवं शिक्षा में तरक्की हो तथा समाज सेवा में आनी वाली बाधाओं को दूर किया जाए क्योंकि ग़रीबों के प्रति हमारे आचरण द्वारा ही हमारा न्याय किया जाएगा। (मती.25.40-45) समाज के कल्याण हेतु मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि सामाजिक न्याय तथा ग़रीबों के उत्थान हेतु अपने समर्पण को आप नवीकृत करें।
अंत में, मैं गुरूकुल छात्रों तथा युवा धर्मसंघियों को धन्यवाद देते हुए संत पापा ने कहा, ″आप में से कई लोगों ने आंधी के बाद बड़ी उदारता का परिचय दिया। आशा करता हूँ कि लोगों की मदद करने तथा आत्म-त्याग, दया तथा सहानुभूति द्वारा अपने आपको दूसरों को देने से मिली खुशी को आप सदा याद रखेंगे। इस प्रकार, समाज के नवीनीकरण में आप एक सशक्त औजार बनेंगे, न केवल इमारतों को की रक्षा करने के लिए किन्तु उससे अधिक महत्वपूर्ण अपनी पवित्रता, न्याय प्रियता और शांति स्थापना द्वारा ईश राज्य का निर्माण करेंगे।
प्रिय पुरोहितों, धर्मसमाजियो एवं परिवारो, इस महागिरजाघर में हम प्रभु से प्रार्थना करें कि हमारा जीवन ख्रीस्त के पुनरूत्थान की शक्ति से पोषित होता रहे।
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