2015-01-16 12:22:00

समर्पित जीवन का अर्थ है ख्रीस्त के क्षमापूर्ण प्रेम का साक्ष्य देना


मनीला, शुक्रवार 16 जनवरी, 2015 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 16 जनवरी को फिलीपीन्स की राजधानी मनीला के निष्कलंक गर्भागमन महागिरजाघर में यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन देते हुए कहा, "समर्पित जीवन का अर्थ है - ख्रीस्त के क्षमापूर्ण प्रेम का साक्ष्य देना। यही पूरी कलीसिया की बुलाहट और इसी प्रेम को बाँटने के लिये हम सब आमंत्रित किये गये हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने फिलीपीन्स की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन धर्माध्यक्षों, पुरोहितों तथा धर्मसमाजी भाई - बहनों को संबोधित किया। यूखरिस्तीय बलिदान में 2500 धर्मसमाजियों के अलावा हज़ारों की संख्या में दूर – दराज़ से आये लोकधर्मियों ने हिस्सा लिया।   

संत पापा ने कहा आज हम कृतज्ञता के साथ उन मिशनरियों की याद करते हैं जिन्होंने फिलीपीन्स में पाँच सौ वर्ष पूर्व ख्रीस्त की ज्योति को जलाया।

मिशनरियों ने फिलीपीन्स को न केवल सुसमाचार से अवगत कराया पर यहाँ एक ऐसे समुदाय का निर्माण किया जो सुसमाचार के प्रेम संदेश के अनुसार अपना जीवन जियें। एक ऐसा समुदाय जो क्षमा, सहयोग और सेवामय जीवन जिये ताकि इससे सार्वजनिक हित को बढ़ावा मिले।

संत पापा ने कहा कि आज समर्पितों को येसु का आमंत्रण है कि वे प्रेम के संदेश का प्रचार करें तथा विभिन्न समुदायों के बीच सेतु का कार्य करें ताकि सम्पूर्ण एशिया में एक नया युग आरंभ हो। 

उन्होंने कहा कि प्रेरित संत पौलुस हमें आमंत्रित करते हैं कि हम प्रेम के राजदूत बने। हमारा दायित्व है, मेल-मिलाप,दया और सहानुभूति की घोषणा करना। हमारा मिशन है, येसु के आनन्द के सुसमाचार का साक्ष्य देना ताकि एक न्याय तथा मुक्तिपूर्ण सामाजिक संरचना स्थापित हो  सके।

उन्होंने कहा कि ख्रीस्त के राजदूत होने का अर्थ है - दुनिया के सब लोगों को आमंत्रित करना ताकि वे येसु ख्रीस्त का व्यक्तिगत अनुभव कर सकें।

इस मिशन को ख्रीस्तीय तब ही पूरा कर सकता है जब वह व्यक्तिगत रूप से येसु की ओर लौटे तथा व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से अंत-करण की जाँच करे ।

संत पापा ने कहा कि आज ज़रूरी है कि हम असमानता और अन्याय पर ईमानदारी, वफ़ादारी और सामुदायिक हित की ओर संवेदनशील होकर विजय प्राप्त करें।   

संत पापा ने कहा कि यदि हम ईशवचन को अपने दिल में आने न दें, जीवन परिवर्तन करने से भय खायें तथा दुनियावी बातों के लिये समझौता करें तो हम येसु के क्रूस से आनेवाली मुक्तिदायी शक्ति और परिवर्तन की घोषणा कदापि नहीं कर सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि आज ज़रूरत है - यौन, विवाह और परिवार संबंधी कुछ भ्रांतिपूर्ण विचारों में पड़ने के प्रलोभन के बीच ख्रीस्तीय संदेश की सत्यता की घोषणा करना ताकि हमारा ख्रीस्तीय समाज अपने लिये नहीं पर उस मसीह के लिये जिये जिसने हमारे प्रेम की खातिर अपने प्राण दे दिये।

 

 

 

 








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