2015-01-16 11:40:00

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं धर्म का स्वतंत्रता दोनों मूलभूत मानवाधिकार


मनीला, शुक्रवार, 16 जनवरी 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं धर्म का स्वतंत्रता दोनों मूलभूत मानवाधिकार है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह मानव का मूलभूत अधिकार ही नहीं अपितु जनकल्याण हेतु एक दायित्व भी है।

गुरुवार को, श्री लंका से फिलीपिन्स की यात्रा करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने लगभग 45 मिनटों तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लेकर धर्मपालन की स्वतंत्रता, पर्यावरण, निर्धनता, सामाजिक न्याय आदि विषयों पर पत्रकारों को आलोकित किया।

पेरिस की पत्रिका चार्ली एब्दो पर हुए आतंकवादी आक्रमण के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धर्म पालन की स्वतंत्रता, ये दोनों स्वतंत्रताएँ मानव के मूलभूत अधिकार हैं। धर्म के नाम पर, ईश्वर के नाम पर जान लेना "पतन"। धर्म के नाम पर हिंसा का कोई औचित्य नहीं।" उन्होंने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानव का मूलभूत अधिकार तथा जनकल्याण के लिये इसका उपयोग एक दायित्व भी है। तथापि, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की भी सीमा होनी चाहिये विशेष रूप से जब आप एक और अन्य मूलभूत अधिकार यानि धार्मिक स्वतंत्रता की बात कर रहे हों।" सन्त पापा ने कहा, "यह एक सामान्य सी बात है कि आप किसी को भड़का नहीं सकते। आप अन्यों के धर्म का अपमान नहीं कर सकते। आप अन्यों के विश्वास का मज़ाक नहीं उड़ा सकते।"  

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सन्त पापा ने पर्यावरण पर भी चिन्ता व्यक्त की और कहा, "विश्वव्यापी रूप से गर्म होता तापमान अधिकाशतः मानव की करतूतों का फल है। एक तरह से हमने प्रकृति को अभिभूत करना चाहा। मेरे ख़्याल से हमने प्रकृति का बहुत शोषण किया है। उन्होंने घोषणा की शीघ्र ही पर्यावरण पर उनका विश्व पत्र प्रकाशित किया जायेगा जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर उसके प्रभावों के मानवीय पक्ष पर प्रकाश डाला है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पर्यावरण पर उनका विश्व पत्र पेरिस में होनेवाले आगामी पर्यावरण सम्मेलन में एक रचनात्मक योगदान सिद्ध होगा।

श्री लंका के विषय में जहाँ की यात्रा कर उन्होंने फिलीपिन्स की ओर प्रस्थान किया था सन्त पापा ने कहा कि वे सत्य का पता लगाकर पुनर्मिलन एवं शांति की स्थापना के पक्ष में हैं। उन्होंने बताया कि आर्जेन्टीना में भी उन्होंने ऐसे ही अभियान को समर्थन दिया था और अब श्री लंका के लिये भी वे यही चाहते हैं।   

 








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