2015-01-15 14:47:00

कार्डिनल रंजित ने संत पापा से आशीर्वाद की कामना की


कोलम्बो, बृहस्पतिवार, 15 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने श्रीलंका में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान कोलम्बो में श्रीलंका के नये संत जोसेफ वाज़ की संत घोषणा की। इस अवसर पर वहाँ के महाधर्माध्यक्ष माननीय कार्डिनल मालकोम रंजित ने सभी विश्वासियों की ओर से उनका स्वागत करते हुए उन्हें सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा, ″अति मान्यवर संत पापा,

हम श्रीलंका के नागरिक तथा काथलिक कलीसिया के सदस्य, बड़ी खुशी एवं पुत्र-तुल्य स्नेह से हमारे बीच आपका स्वागत करते हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारे लोगों के सच्चे विश्वास तथा उनकी निष्ठायुक्त आदर को आपने महसूस किया है जिसके कारण जब से आपने इस धरती का स्पर्श किया है उन्होंने आपको घेर लिया। मैं कहना चाहूँगा कि विश्व के लाखों प्रशंसकों के साथ शामिल होते हुए विभिन्न धर्मों, जातियों तथा रंगों की श्रीलंका की हमारी जनता, इस सुन्दर भूमि में आपकी प्रेरितिक यात्रा का बड़े सम्मान एवं प्यार से स्वागत कर रही है।″

उन्होंने कहा, ″इस मिट्टी में आपकी उपस्थिति से बड़ा उपहार हमारे लिए और क्या हो सकता है? आपने संत जोसेफ वाज़ को हमारे लिए प्रदान किया है। यह उपहार हमें सचमुच आनन्द से भर दिया है क्योंकि श्रीलंका के पास अब अपना संत है गोवा का गौरव तथा ईश्वर की ओर से श्रीलंका के लिए अनमोल रत्न। हम इस अत्यन्त मूल्यवान उपहार के लिए आपको धन्यवाद देते हैं जिनका जीवन एवं सेवा इस भूमि को प्राप्त हुए है। उन्होंने लोगों की सेवा उस समय की जब वे दुःखद एवं विकट परिस्थितियों से गुजर रहे थे। उन्होंने अपनी प्रेरिताई के माध्यम से ईश्वर के असीम प्रेम का अमिट छाप छोड़ दिया है। ईश्वर से प्रेरित होकर इस महान संत ने अपनी प्यारी भूमि तथा अपने प्रियजनों को त्यागकर, अब्रहाम के समान अनजान लोगों को अपनाया एवं हमारे पूर्वजों को विश्वास में बढ़ाया। हम गोवा की कलीसिया को, बहुमूल्य उपहार स्वरूप उनके प्रिय पुत्र हमें अर्पित करने के लिए कोटिशः धन्यवाद देते हैं। उस सक्रिय कलीसिया से आज इस समारोह में हमारे साथ शरीक होने हेतु कई लोग उपस्थित हैं हम उनका सहृदय स्वागत करते एवं अपनी कृतज्ञता उन्हें अर्पित करते हैं।     

कार्डिनल रंजित ने संत पापा को सम्बोधित करते हुए कहा, ″अति माननीय संत पापा, 8 फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर में आपने श्रीलंका को उसकी सुन्दरता एवं आकृति के कारण भारत के समुंदर में एक मोती की संज्ञा दी थी एक ऐसी मोती जिसकी आकृति आँसु के समान है। जिस तरह आपने कहा था कि मोती समुद्री सीप की आँसुओं से बनता है। हमने विगत सालों में संघर्ष के कारण बहुत आँसु बहाये हैं। हम उस दुःखद परिस्थिति से उबरना चाहते हैं और हमारे लोगों के लिए सच्चे मेल-मिलाप, शांति तथा विकास की कामना करते हैं। यह यात्रा कठिन ज़रूर है जिसके लिए हमें आपकी प्रार्थना, आशीर्वाद एवं पैतृक निर्देशन की आवश्यकता है। उस दिन भी आपने हमारे लिए प्रार्थना का आश्वासन दिया था जिसके लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं। हृदय की सच्ची चंगाई हेतु, कृपया आप हमारी मदद करें ताकि उस मूर्खतापूर्ण हिंसा के लिए क्षमा मांगने हेतु हमें बल मिले और हम एक-दूसरे को क्षमा करते हुए विगत कड़वी बातों को भूल कर आपस की सभी दूरियों को पाट सकें।

यद्यपि हम उस लक्ष्य से अब भी दूर हैं तथापि हमें आशा है और हम प्रार्थना करते हैं कि आपकी श्रद्धास्पद व्यक्तित्व हमें धर्मों के रास्तों से उपर उठ कर एक-दूसरे तक पहुँच पाने हेतु प्रेरित करेगा।

हमारे संत जोसेफ वाज़ से प्रार्थना करते हैं कि स्वर्ग में वे हमारी मध्यस्थता करें ताकि श्रीलंका विविधताओं के बावजूद, शांति का वरदान प्राप्त कर सच्चे आनन्द के साथ एकजुट होकर शीघ्रता से उन्नति कर सके।

कार्डिनल रंजित ने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि हमारा देश, बौद्ध, हिन्दू, इस्लाम तथा ईसाई जैसे विश्वव्यापी कई महान धर्मों की शिक्षा से अनुगृहित है जिसके कारण इसके पास नैतिकता एवं आध्यात्मिकता की ताकत है तथा शांति निर्माण की महानता भी किन्तु उसके लिए हमें मन-परिवर्तन, विश्वास तथा आपसी आदान प्रदान की सच्ची भावना से प्रेरित होना आवश्यक है।

श्रीलंका के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल मालकोम रंजित ने संत पापा से आशीर्वाद की कामना करते हुए कहा, ″संत पिता आप हमें आशीर्वाद दें। हमारे बीच आने, अपना पितृ तुल्य स्नेह प्रदान करने एवं प्रेरितिक आशीर्वाद अर्पित करने के लिए हम आपका सहृदय धन्यवाद करते हैं।

 








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