2015-01-14 14:52:00

नये संत जोसेफ वाज़ हमारे महान आदर्श


कोलंबो, बुधवार, 14 जनवरी 2015 (वीआर सेदोक)꞉ श्रीलंका में प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन, बुधवार 14 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने अपनी यात्रा के मुख्य उद्देश्य को पूरा करते हुए गले फेस ग्रीन में धन्य जोसेफ वाज़ को संत घोषित किया।

संत घोषणा समारोह पावन ख्रीस्तयाग के साथ सम्पन्न हुआ जिसमें प्रवचन देते हुए संत पापा ने कहा कि कलीसिया की असंख्य मिशनरियों के समान संत जोसेफ वाज़ ने पुनर्जीवित ख्रीस्त के आदेश ″तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।″ का अनुपालन किया है। उन्होंने अपने वचनों द्वारा ख्रीस्त के आदेश का पालन किया किन्तु उससे भी बढ़कर अपने जीवन के साक्ष्य द्वारा उन्होंने इस देश के लोगों को उस विश्वास में बढ़ाया ″जो ईश्वर के सब सन्तों के साथ आप को विरासत दिलाने में समर्थ है।″ (प्रेरित.20꞉32)

संत घोषणा समारोह की विषय वस्तु थी, ″पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है।″(इसा. 5꞉10)

संत पापा ने कहा, ″संत जोसेफ वाज़ में हम श्रीलंका के लोगों के प्रति ईश्वर की भलाई एवं उनके महान प्रेम चिन्ह देखते हैं। उन्होंने सुसमाचार के रास्ते पर दृढ़ रहकर, पवित्रता तथा सुसमाचार में निहित मेल-मिलाप के संदेश का साक्ष्य प्रस्तुत किया जिसके लिए वे पूर्णतया समर्पित थे।″

संत पापा ने संत वाज़ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म गोवा में हुआ था किन्तु वे मिशनरी बनकर श्रीलंका आये जहां धार्मिक अत्याचार के कारण उन्होंने भिखारी का वेश धारण कर गुप्त रूप में अपनी प्रेरिताई जारी रखा। उनकी तीव्र अभिलाषा थी कि वे बीमार एवं पीड़ितों की सेवा करें।

संत पापा ने कहा कि संत वाज़ कई कारणों से हमारे लिए आदर्श एवं गुरु हैं किन्तु उनमें से तीन मुख्य कारणों पर मैं प्रकाश डालना चाहूँगा।

पहला, वे एक आदर्श पुरोहित थे। वे हमें सिखलाते हैं कि येसु का प्रचार देहातों में जाकर सभी लोगों के बीच किस प्रकार करना है। सुसमाचार के कारण अत्याचार सहने, प्रधानों के प्रति आज्ञाकारी तथा ईश्वर की कलीसिया को प्रेमपूर्ण सेवा प्रदान करने में भी वे हमारे आदर्श रहे हैं।

दूसरा, संत जोसेफ वाज़ हमें दिखलाते हैं कि शांति की सेवा में धार्मिक विभाजन से उपर उठना कितना महत्पूर्ण है। ईश्वर के प्रति उनका अविभाजित प्यार उन्हें पड़ोसियों के प्रति प्रेम करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने बड़ी उदारता से समाज के सभी लोगों की सेवा की।

तीसरा, संत वाज़ प्रेरितिक उत्साह के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यद्यपि वे श्रीलंका के काथलिक समुदाय की सेवा हेतु आये थे तथापि अपनी उदारता द्वारा वे वहाँ सभी लोगों से घुल मिल गये। उन्हें यह अच्छी तरह मालूम था कि विभिन्न धर्मों की पृष्टभूमि में सम्मान, समर्पण, दृढ़ता और विनम्रता के साथ सुसमाचार की सच्चाई एवं सुन्दरता को किस प्रकार बांटा जाना चाहिए।

आज हम भी उन्हीं की तरह उत्साह के साथ कार्य करने के लिए बुलाये किये जाते हैं। संत पापा ने सभी विश्वासियों के लिए संत मरिया से प्रार्थना की कि वे संत जोसेफ वाज़ के आदर्शों पर चलकर अपने विश्वास में दृढ़ रह सकें तथा श्रीलंका के समाज में शांति, न्याय एवं मेल-मिलाप को बनाये रखने में अपना बड़ा योगदान दे सकें। संत पापा ने कहा, ख्रीस्त आपसे यही मांग कर रहे हैं, संत जोसेफ वाज़ ने यही सिखलाया है तथा कलीसिया को भी इसी चीज की आवश्यकता है।

 

 








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