कोलोम्बो, मंगलवार, 13 जनवरी 2015 (सेदोक): काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को श्री लंका में अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरु की। सुबह की चमकदार धूप में, आलइतालिया का एयरबस 330 विमान स्थानीय समयानुयार प्रातः नौ बजे, राजधानी कोलोम्बो के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुँचा। श्री लंका में परमधर्मपीठ के राजदूत महाधर्माध्यक्ष पियेर न्यूयेन वान थॉट तथा श्री लंका के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल मैलकम रणजीत ने विमान पर जाकर सन्त पापा का स्वागत किया। विमान की सीढ़ियों के नीचे श्री लंका के नवनियुक्त राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने सम्पूर्ण राष्ट्र की ओर से वाटिकन के शीर्ष सन्त पापा फ्राँसिस का अभिवादन किया। दो बच्चों ने देश में आये लब्ध प्रतिष्ठित अतिथि का स्वागत करते हुए, एक सुन्दर चाँदी के थाल में 72 पान तथा श्वेत एवं पीले फूलों से बना विशाल पुष्पाहार अर्पित किया। विमान के समक्ष बिछी लाल कालीन के दोनों ओर नगाड़ों की ताल पर, स्थानीय नृत्य कला का प्रदर्शन करते नर्तकों ने, अपने यहाँ सन्त पापा फ्राँसिस का भावपूर्ण स्वागत किया। इसके अतिरिक्त, सन्त पापा के आदर में हवाई अड्डे तक जाते मार्ग में सजाये हुए हाथियों का जुलूस भी निकाला गया।
श्री लंका की राजधानी कोलोम्बो में हवाई अडडे से परमधर्मपीठीय प्रेरितिक राजदूतावास जानेवाले मार्ग के ओर छोर सन्त पापा फ्राँसिस की एक झलक पाने के लिये हज़ारों लोगों की उत्साही भीड़ उमड़ पड़ी थी। इनमें केवल ख्रीस्तीय ही नहीं अपितु सैकड़ों बौद्ध, हिन्दू एवं मुसलमान नागरिक शामिल थे। यहाँ एकत्र होने के लिये इनके कई कारण रहे होंगे, हालांकि बहुतों के मन में सन् 2009 में समाप्त हुए 26 वर्षीय दीर्घकालीन गृह युद्ध के बाद विभिन्न जातियों एवं धर्मों के बीच मैत्री तथा पुनर्मिलन की आशा जागृत हुई होगी।
42 वर्षीय समन प्रियंकरा ने पत्रकारों से कहा, "देश की एकता का यह अच्छा अवसर है, विशेष रूप से, नये चुनाव के बाद जिसने समाज को दो भागों में विभाजित कर रखा है। यह नई सरकार को बल प्रदान कर सकता है।" जबकि 40 वर्षीय यासास एलेक्ज़ेन्डर ने कहा, "मैं विश्व के एक धार्मिक नेता को देखने आया हूँ, हालांकि मैं बौद्ध धर्मानुयायी हूँ, मेरा विश्वास है कि सन्त पापा फ्राँसिस की देश में उपस्थिति से अन्तरधार्मिक मैत्री को प्रोत्साहन मिलेगा।" इसी प्रकार, 60 वर्षीय रणजीत सोलिस ने कहा, "लगता है मानों येसु ख्रीस्त स्वयं श्री लंका पधारे हों..... सन्त पापा की सरल जीवन शैली नकली नहीं है। यह हम सबके लिये और, विशेष रूप से, याजकवर्ग के समक्ष प्रस्तुत चुनौती है। मेरे ख्याल से उनका दर्शन स्वयं ख्रीस्त से ही आता है।"
ग़ौरतलब है कि विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस, इस समय, एशिया की छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। मंगलवार एवं बुधवार श्री लंका के कोलोम्बो, मधु एवं बोलावालाना का दौरा कर गुरुवार 15 जनवरी को वे श्री लंका से फिलीपिन्स के लिये प्रस्थान करेंगे।
कोलोम्बो के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर श्री लंका एवं वाटिकन के राष्ट्रीय गीतों की धुनें बजाई गई तथा 21 तोपो की सलामी देकर सन्त पापा फ्राँसिस का अभिवादन किया गया। इस अवसर पर श्री लंका के नवनियुक्त राष्ट्रपति ने सौहार्द्रपूर्ण स्वागत करते हुए कहा कि कुछ ही दिनों पूर्व उन्हें राष्ट्रपति पद पर चुना गया था इसलिये अपने राष्ट्रपतिकाल का शुभारम्भ सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा से करने के लिये वे अत्यधिक प्रसन्न थे।
एशियाई यात्रा के अपने पहले प्रवचन में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि लोगों पर हुए अन्याय के सत्य का पता लगाने के बिना श्री लंका 26 वर्ष तक जारी रहे गृहयुद्ध के घावों से पूरी तरह चंगा नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा, "इतने अधिक रक्तपात के बाद पुनर्मिलन की स्थापना केवल बुराई को भलाई से अभिभूत कर तथा एकात्मता एवं शांति के सदगुणों के संपोषित कर की जा सकती है।"
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