2015-01-13 12:32:00

कोलोम्बोः एशिया के लिये सन्त पापा वार्ता का लाये सन्देश


कोलोम्बो, मंगलवार, 13 जनवरी 2015 (सेदोक): श्री लंका में 26 वर्ष तक चले गृहयुद्ध के बाद अन्तर-धार्मिक एवं अन्तर-जातीय मैत्री को महत्वपूर्ण मानते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने विभिन्न धर्मों एवं जातियों के लोगों के बीच शांति एवं एकता की स्थापना हेतु क्षमा एवं पुनर्मिलन पर बल दिया।

उन्होंने इस तथ्य पर बल दिया कि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिये यह आवश्यक है कि अतीत में हुए अन्यायों के सच का पता लगाया जाये। सन् 2009 में श्री लंका का 26 वर्षीय गृहयुद्ध समाप्त हो गया था किन्तु अभी भी श्री लंका की सिंघली एवं तमिल जातियों के बीच पुनर्मिलन नहीं हो पाया है। इसके अतिरिक्त हाल ही में कुछेक बौद्ध चरमपंथी संगठनों द्वारा मुस्लिम विरोधी झगड़ों की ख़बरें भी सामने आई हैं।   

सिंघली जाति के लोग अधिकांश बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं जबकि तमिल अल्पसंख्यक हिन्दू धर्मानुयायी हैं। राष्ट्र की दो करोड़ की कुल आबादी में केवल 07 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी हैं। बौद्ध धर्मानुयायी बहुल श्री लंका में हिन्दू, मुस्लिम एवं काथलिक धर्मानुयायी अल्पसंख्यक हैं। पुर्तगाली, डच एवं ब्रितानी उपनिवेशियों के कारण ख्रीस्तीय धर्म का आगमन यहाँ 400 वर्षों पूर्व हुआ था।

मंगलवार को श्री लंका में अपने आगमन के बाद सन्त पापा फ्राँसिस कोलोम्बो हवाई अडडे से 28 किलो मीटर की दूरी पर स्थित परमधर्मपीठीय राजदूतावास गये जहाँ उन्होंने ख्रीस्तयाग अर्पित कर कुछ विश्राम किया। तदोपरान्त, सन्ध्या पाँच बजे वे कोलोम्बो के राष्ट्रपति भवन गये जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से औपचारिक मुलाकात की। विगत सप्ताह ही श्री सिरिसेना चुनाव जीतकर श्री लंका के राष्ट्रपति नियुक्त किये गये हैं। दोनों नेताओं के बीच बातचीत के उपरान्त राष्ट्रपति के परिजनों एवं राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने सन्त पापा का साक्षात्कार कर उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई और फिर उपहारों के आदान प्रदान के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।

राष्ट्रपति सिरिसेना के साथ औपचारिक मुलाकात के उपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस राष्ट्रपति भवन से चार किलो मीटर की दूरी पर स्थित भण्डारनाईके मेमोरियल इन्टरनेशनल कॉन्फरेन्स हॉल गये जहाँ उन्होंने देश के बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम तथा ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के नेताओं एवं प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें अपना सन्देश दिया।  








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