2015-01-12 11:44:00

राजनयिकों को सम्बोधन शांति स्थापना तथा दासता एवं आतंकवाद के बहिष्कार पर केन्द्रित


वाटिकन सिटी, सोमवार, 12 जनवरी 2015 (सेदोक): वाटिकन में, सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को परमधर्मपीठ के साथ कूटनैतिक सम्बन्ध रखनेवाले राष्ट्रों के राजनयिकों को क्रिसमस एवं नववर्ष के उपलक्ष्य में बधाइयाँ दी। इस अवसर पर उन्होंने न्याय एवं शांति की स्थापना तथा दासता एवं आतंकवाद के बहिष्कार का आह्वान किया।

राजनयिकों को दिये अपने सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि "शांति" शब्द सबको प्रिय है किन्तु शांति की स्थापना करना अथक परिश्रम एवं समर्पण की मांग करता है। अपने सम्बोधन में येसु जन्म पर चिन्तन करते हुए उन्होंने कहा कि एक ओर नये जन्म का आनन्दपूर्वक स्वागत किया गया तो दूसरी ओर येसु को क्रूस पर मरण तक दुःख भोगना पड़ा।

सन्त पापा ने कहा, "येसु का जन्म शांति के राजकुमार का जन्म है तथापि, यह मनुष्यों के कठोर हृदय की भी गाथा है जो नवजात शिशु के स्वागत को तैयार नहीं होते।" उन्होंने कहा, "आज भी हममें स्वागत न करने तथा बहिष्कार करने की प्रवृत्ति विद्यामन है जो पड़ोसी को अनदेखा करती तथा भाई रूप में उसका स्वागत नहीं करने देती है।"

विश्व शांति दिवस पर प्रकाशित अपने सन्देश का स्मरण दिलाकर सन्त पापा ने मानव शोषण की निन्दा की और कहा, "आज मानव प्राणी स्वतंत्र से दास बन गया है, अब समय फैशन का है, सत्ता का है, धन का है तथा कभी-कभी धर्म के अपमान का भी।" उन्होंने कहा कि ये सब आधुनिक दासता के प्रकार हैं जो, भलाई करने तथा शांति के हित में काम करने में असमर्थ भ्रष्ट हृदय की उपज है।

मध्यपूर्व में शांति की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि येसु की जन्मभूमि शांति की अनवरत पुकार लगाती रहेगी ताकि इस्राएल एवं फिलीस्तीन के ज़िम्मेदार नेता शांतिपूर्ण समाधान पाने हेतु वार्ताएँ करें।

यूक्रेन के संकट, ईराक, सिरिया तथा अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में जारी लड़ाइयों पर उन्होंने दुःख व्यक्त किया तथा आतंकवाद की कड़ी निन्दा की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एवं धार्मिक चरमपंथ मानव एवं ईश्वर के बहिष्कार का परिणाम है। 








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