2015-01-12 07:21:00

दूध शरीर का, ईश वचन आत्मा का भोजन, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार, 12 जनवरी सन् 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि जिस प्रकार दूध शरीर को पोषण प्रदान करता है उसी प्रकार ईश्वर का शब्द आत्मा को पोषित करता है।

प्रति वर्ष की तरह, येसु के बपतिस्मा महापर्व के दिन, वाटिकन स्थित सिस्टीन प्रार्थनालय में, बपतिस्मा संस्कार की धर्मविधि पूरी कर, रविवार 10 जनवरी को, सन्त पापा फ्राँसिस ने 33 शिशुओं को बपतिस्मा संस्कार प्रदान किया। बपतिस्मा संस्कार प्राप्त करनेवाले 12 बालक एवं 21 बालिकाएँ वाटिकन के कर्मचारियों की सन्तानें हैं।

बपतिस्मा समारोह के अवसर पर ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने कहा "पहले पाठ में हमने सुना कि पिता ईश्वर अपनी सन्तानों के प्रति चिन्तित रहते हैं: वे उन्हें पुष्ट भोजन देने के लिये उत्कंठित रहते हैं। नबी इसायाह के माध्यम से ईश्वर कहते हैं: "जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रुपया क्यों ख़र्च करते हो? जो तृप्ति नहीं दे सकता है, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो?"

सन्त पापा ने कहा, ईश्वर एक भले पिता एवं भली माता के समान अपनी सन्तानों को अच्छा भोजन प्रदान करना चाहते हैं जो है ईश्वर का शब्द। ईश्वर का शब्द हमें पोषित करता तथा जीवन में अच्छे फल उत्पन्न करने में हमारी मदद करता है, "जिस तरह पानी और बर्फ़ आकाश से उतर कर भूमि सींचे बिना, उसे उपजाऊ बनाते हैं।"

माता पिताओं एवं अभिभावकों से सन्त पापा ने आग्रह किया कि वे प्रतिदिन ईश वचन के पाठ से संपोषित होवें तथा अपने जीवन आचरण द्वारा अपनी सन्तानों में ईश वचन के प्रति प्रेम प्रस्फुटित करें क्योंकि जिस प्रकार दूध शरीर को पोषित करता है उसी प्रकार आत्मा के पोषण हेतु ईश वचन की नितान्त आवश्यकता है।             

 








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