2015-01-09 15:02:00

पेरिस आईना है इस्लाम से संघर्ष का


पेरिस, शुक्रवार 9 जनवरी, 2015 (बीबीसी) पेरिस में इस्लाम के पैग़ंबर मोहम्मद के कथित अपमान के नाम पर कार्टूनिस्टों और पत्रकारों पर हमले से पूरी दुनिया स्तब्ध है।

पेरिस हमले ने यूरोप में इस्लाम पर एक नई बहस को जन्म दिया है।

इस्लाम की कट्टर व्याख्या करने वाले चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के हमलों से ईरान-इराक़ जैसे इस्लामी देश आज जूझ रहे हैं।मध्य पूर्व में कट्टरवादी और उदारवादी व्याख्या करने वालों के बीच हिंसा का जो सिलसिला चल रहा है, वही अब यूरोप की सड़कों पर उतर आया है।

ताज़ा हमले को भले 'क्रूर व्यक्ति' का कारनामा भले कह लें लेकिन पिछले दशकों में हुए शांति प्रयासों की विफलता पर यदि आत्मविश्लेषण नहीं किया गया, तो इसके परिणाम पूरे यूरोप को भुगतने पड़ेंगे।

फ्रांस और जर्मनी ही नहीं, ब्रिटेन में भी बाहरी देशों से आकर बसने वालों, जिसमें मुस्लिम आबादी अधिक है, को शक की नज़रों से देखा जाता है।

यूरोप में सबसे ज़्यादा मुसलमान फ्रांस में रहते हैं जो क़रीब 50 लाख या आबादी का साढ़े सात फ़ीसदी हैं।

20 साल पहले विवादित किताब 'द सैटेनिक वर्सेज़' छपने के बाद भारतीय मूल के ब्रितानी लेखक सलमान रुश्दी के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया गया था।मुसलमानों के मुताबिक़ रुश्दी ने इस्लाम की तौहीन की है. बाद में उन्हें कई साल छिपकर रहने को मजबूर होना पड़ा।

शार्ली एब्डो पर हमला और कार्टूनिस्टों की हत्या भी एक तरह से पश्चिम को आगाह करता है.

ये हमला इसका प्रतीक है कि कट्टरपंथी लोगों ख़ासकर युवाओं के लिए धर्म की रूढ़िवादी व्याख्या इतनी मायने रखती है कि अगर कोई इस पर सवाल उठाए या इसका अपमान करे तो वो उसकी हत्या भी कर सकते हैं.

पश्चिमी यूरोप में धर्म की उदारवादी व्याख्या करने वाले भी इस बात पर बँटने लगे हैं कि कट्टरपंथी इस्लाम का उनके देश पर क्या असर होगा और इसके साथ बेहतर तरीक़े से कैसे निपटें।सरकारें भी यूरोप के मुसलमानों के ख़िलाफ़ प्रतिक्रिया की संभावना से गंभीर रूप से चिंतित हैं।

 

 








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