2015-01-08 13:30:00

मातृत्व – पितृत्व ईश्वरप्रदत्त वरदान


वाटिकन सिटी, सोमवार 29 दिसंबर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 28 दिसंबर को पवित्र परिवार दिवस के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम सभागार में एकत्रित हज़ारों लोगों को संबोधित किया।

उन्होंने कहा, “मुझे प्रसन्नता है कि आप अपने परिवारों को प्यार करते हैं और अपने जीवन से प्यार करते हैं।“

उन्होंने कहा, “ पवित्र परिवार के महोत्सव पर आपने अपने सबसे अच्छे वरदान मातृत्व और पितृत्व को लेकर यहाँ आये हैं जो कि ईश्वर प्रदत्त वरदान है। आज ईश्वर आपसे चाहते हैं कि आप इन्हें स्वीकार करें और इसका गुणगान करें और इसे समाज में चमकने दें। यही आपका परम कर्तव्य है।“

संत पापा ने माता – पिताओं को याद दिलाया कि वे इस बात को समझें कि उनकी संतान ईश्वर की ओर से दिया गया अनमोल वरदान है जिसकी पुनरावृत्ति नहीं हो सकती है। यह सब कुछ ईश्वर की इच्छा के अनुसार हुआ है।


संत पापा ने बच्चों के बारे में इंगित करते हुए कहा कि बच्चे माता और पिता के जीवन को बदल डालते हैं। बच्चे चमत्कार हैं जो जीवन को बदल डालते हैं। प्रत्येक संतान स्नेह का अनुपम फल है जो प्रेम से उत्पन्न होता है और प्रेम में ही वह निवास करता है।
संत पापा ने कहा कि बड़ा परिवार एक ऐसी पाठशाला है जहाँ व्यक्ति एकता और भ्रातृत्व में जीना सीखता है और ऐसे मनोभावों से समाज का कल्याण होता है। समाज में बड़े परिवार की उपस्थिति आशा का प्रतीक है।

उन्होंने कहा, “ मानव परिवार एक पेड़ के समान है और ऐसे पेड़ों में अच्छे फल लगते हैं जिनकी जड़ें गहरी हों। और ये जड़ें हमारे पुरखें हैं और उसका धड़ है माता- पिता। आपको याद होगा कि येसु ने कहा था कि प्रत्येक अच्छा पेड़ अच्छा फल और बुरा पेड़ बुरा फल देता है। मानव परिवार एक जंगल के समान है जहाँ एकता, सहयोग आस्था, सहायता, सुरक्षा, संयम और मित्रता के भाव पनपते हैं।“

संत पापा ने आशा व्यक्त की है कि परिवा एक ऐसा स्थान होगा जहाँ परिवार के सदस्यों को इस बात का आभास होगा कि वे समाज में बदलाव लाने के लिये परिवार संबंधी नीतियों के निर्धारण का दायित्व अपने ऊपर लेंगे नहीं तो वे उन बुराइयों के शिकार हो जायेंगे जिनका पालन उदासीनतापूर्ण तरीके से किया जाता है।

संत पापा ने परिवार संबंधी संगठनों से आग्रह किया वे उन पारिवारिक मूल्यों को प्रचार करें जो परिवार के लिये अत्यंत ज़रूरी है।

 

 








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