2015-01-08 16:40:00

धर्मान्तरण के विरुद्ध कानून की कार्डिनल क्लेमिस ने की कटु आलोचना


तिरुवनन्तपुरम, मंगलवार, 23 दिसम्बर 2014 (ऊका समाचार): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष तथा केरल के काथलिक धर्माधिपति कार्डिनल बेसिलियोस क्लेमिस ने कहा है कि बलात धर्मान्तरण पर नियंत्रण रखने के लिये किसी नये कानून की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि वे "बलात धर्मान्तरण" से उत्कंठित लोगों की चिन्ताओं को दूर करने हेतु शीघ्रातिशीघ्र हस्तक्षेप करें।

राष्ट्रीय एकीकरण परिषद के सदस्य कार्डिनल क्लोमिस ने सोमवार को जारी एक वकतव्य में कहा कि धर्मान्तरण सम्बन्धी नये कानून का प्रस्ताव पूर्वनियोजित है तथा यह संविधान में प्रत्यभू अधिकारों का घोर उल्लंघन है।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि वे हाल के दिनों में घर वापसी के तहत हो रही बलात धर्मान्तरण की घटनाओं के प्रति चिन्तित हैं। उन्होंने कहा, "एक धर्मनिरपेक्ष समाज बलपूर्वक अथवा लोभ-लालच देकर किसी को धर्म परिवर्तन के लिये बाध्य नहीं कर सकता।"

भारत के विभिन्न राज्यों, विशेष रूप से, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और साथ ही केरल में चेपाद एवं अँचल से बलात धर्मान्तरण की रिपोर्टें आने के बाद कार्डिनल क्लेमिस ने अपना वकतव्य जारी किया। उन्होंने कहा, "धर्मान्तरण के नाम पर घृणा अभियान तथा विभाजनवाद हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को नष्ट कर देगा।"

कार्डिनल क्लेमिस ने इस बात पर बल दिया कि ख्रीस्तीय कलीसियाओं ने कभी भी बलात धर्मान्तरण को समर्थन नहीं दिया है। उन्होंने सरकार का आह्वान किया कि वह मौजूदा कानून के कड़े प्रावधानों के तहत ही बलात धर्मान्तरण पर रोक लगाये।
 

 








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