सन्त थॉमस बेकेट को कैनटरबरी के थॉमस तथा लन्दन
के थॉमस नामों से भी जाना जाता है। उनका जन्म, लन्दन में लगभग 1118 ई. में हुआ था। मथिलदा
एवं गिलबर्ट बेकेट उनके माता पिता थे। 1162 ई. से लेकर 1170 में अपनी मृत्यु तक थॉमस
बेकेट केनटरबरी के महाधर्माध्यक्ष थे। थॉमस बेकेट काथलिक एवं एंगलिकन दोनों कलीसियाओं
के शहीद सन्त हैं। कलीसिया के अधिकारों के लिये उन्होंने इंगलैण्ड के राजा हेनरी द्वितीय
से झगड़ा कर लिया था और इसीलिये राजा के अनुयायियों ने केनटरबरी के महागिरजाघर में 29
दिसम्बर, सन् 1170 ई. को उनकी हत्या कर दी थी। महाधर्माध्यक्ष थॉमस बेकेट की हत्या के
तुरन्त बाद सन्त पापा एलेक्ज़ेनडर तृतीय ने उन्हें सन्त घोषित कर कलीसिया में वेदी का
सम्मान प्रदान कर दिया था। केनटरबरी के शहीद सन्त थॉमस बेकेट का पर्व 29 दिसम्बर को मनाया
जाता है।
चिन्तनः सन्त थॉमस बेकेट के विषय में एक धर्मबहन ने उचित
ही लिखा हैः "लोहे की जंज़ीरें हमें अपने दायित्वों के निर्वाह हेतु बाँधने के लिये उतनी
मज़बूत नहीं हैं जितना मज़बूत प्रेम का महीन धागा है।" प्रभु ख्रीस्त को लोहे के क़ीलों
ने नहीं अपितु प्रेम के महीन धागों ने क्रूस से बाँधे रखा था और इन्हीं प्रेम के महीन
धागों से सन्त थॉमस बेकेट ईश्वर के साथ बँधे रहे थे। (सि. तेरेसा मोल्फी, सी.एस.जे.)