2014-12-27 11:29:19

प्रेरक मोतीः एकान्तवासी सन्त अन्तोनी (सन् 468-520 ई.)


वाटिकन सिटी, 28 दिसम्बर सन् 2014:

एकान्तवासी अन्तोनी का जन्म, सन् 468 ई. में, प्राचीन रोमी प्रान्त वालेरिया में हुआ था जो इस समय बाल्कन प्रदेश के अन्तर्गत आता है। जब अन्तोनी आठ वर्ष के थे तब ही उनके पिता का देहान्त हो गया था जिसके कारण उन्हें आधुनिक ऑस्ट्रिया के नोरीसुम स्थित मठ के अध्यक्ष सेवेरीनुस के सिपुर्द कर दिया गया था। सन्त सेवेरीनुस ने अन्तोनी का बड़े प्यार से लालन पालन किया तथा उन्हें अच्छी शिक्षा भी प्रदान की। सन् 482 ई. में सन्त सेवेरीनुस के निधन के बाद 14 वर्षीय किशोर, अन्तोनी, अपने चाचा, जर्मनी के बावेरिया महाधर्मप्रान्त स्थित, लोर्श के धर्माध्यक्ष कॉन्सटान्टियुस के पास भेज दिये गये। धर्माध्यक्ष कॉन्सटान्टियुस की संगत में रहते ही अन्तोनी ने भिक्षु जीवन यापन का प्रण किया।


सन् 488 ई. में, 20 वर्षीय अन्तोनी इटली आये तथा मठाध्यक्ष मारियुस एवं उनके साथी मठवासियों के साथ कोमो झील के निकट एकान्त जीवन यापन करने लगे। मठवासियों में वे इतने अधिक लोकप्रिय थे कि बहुत से युवाओं ने मठवासी जीवन का चयन आरम्भ कर दिया। अपनी अत्यधिक लोकप्रियता के कारण अन्तोनी को कोमो से भागना पड़ा। इटली से वे फ्राँस गये तथा वहाँ गौल नगर में लेरिन्स स्थित मठ में भर्ती हो गये। दो वर्ष लेरिन्स में कठोर मठवासी जीवन यापन के बाद सन् 520 ई. में उनका निधन हो गया।


एकान्तवासी अन्तोनी अपनी पवित्रता, आध्यात्मिकता, चंगाई प्रार्थना तथा चमत्कारों के लिये दूर दूर तक मशहूर हो गये थे। 28 दिसम्बर को एकान्तवासी सन्त अन्तोनी का पर्व मनाया जाता है।



चिन्तनः "प्रभु, कौन तेरे शिविर में प्रवेश करेगा? कौन तेरे पवित्र पर्वत पर निवास कर सकेगा? वही जिसका आचरण निर्दोष है, जो सदा सत्कार्य करता, जो हृदय से सत्य बोलता है....(स्तोत्र ग्रन्त 15: 1-2)।








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