2014-12-23 10:55:42

वाटिकन सिटीः सत्ता एवं धन के प्रलोभन से दूर रहने का परमधर्मपीठ के अधिकारियों को परामर्श


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 23 दिसम्बर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय में सेवारत धर्माधिकारियों को क्रिसमस महापर्व की बधाईयाँ अर्पित की तथा अपने सन्देश में सत्ता और धन के लोभ से बचने का परामर्श दिया।

सन्त पापा ने कहा कि स्वतः को अपरिहार्य समझना, कठोर हृदय रखना, अन्यों के प्रति उदासीन रहना, सबकुछ की योजना बनाने की आशा करना, बकवाद में लगना, वस्तुओं एवं धन एकत्र करने की होड़ में लगना, एक विशिष्ट व छोटे से समूह की सदस्यता रखना, सेवा को सत्ता में बदलना तथा प्रभु के साथ साक्षात्कार को दरकिनार करना पुरोहितों, धर्माध्यक्षों एवं कार्डिनलों के लक्षण नहीं हो सकते।

सन्त पापा ने उन धर्माधिकारियों एवं प्रशासकों की कड़ी निन्दा की जो अपनी जीवन वृत्ति अथवा पेशे को सत्ता एवं धन हड़पने का साधन मानते हैं। उन पाखंडी प्रशासकों को भी उन्होंने फटकार बताई जो दोहरा जीवन जीते तथा इस बात को भुला देते हैं कि उन्हें प्रभु के प्रसन्न चित्त एवं हर्षित पुरुष होना चाहिये।

वाटिकन में कार्यरत परमधर्मपीठ के अधिकारियों से उन्होंने आग्रह किया कि क्रिसमस काल का सदुपयोग वे पश्चाताप के लिये करें तथा सन् 2015 में कलीसिया को एक स्वस्थ एवं पवित्र स्थल बनायें।

वाटिकन के धर्माधिकारियों को सचेत कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "बकवाद का आतंक हमारे सहयोगियों एवं भाइयों की नेकनामी को मार डालता है। इसके अतिरिक्त, गुटबन्दी अपने गुट के सदस्यों को दास बना डालती तथा ऐसे कैंसर में परिणत हो जाती है जो सम्पूर्ण समुदाय में सामन्जस्य एवं मैत्री को भंग कर देता है।"

उन्होंने धर्माधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपनी पुरोहितीय बुलाहट को कदापि न भूलें जिसका उद्देश्य केवल सेवा होता है। उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठीय कार्यलय के अधिकारियों से मांग की जाती है कि वे सतत प्रार्थना द्वारा स्वतः को सब प्रलोभनों से दूर रखें, निरन्तर परिवर्तन एवं सुधार के लिये तत्पर रहें तथा मिशन की पूर्ति के लिये सहभागिता, पवित्रता एवं ज्ञान में विकास करते जायें।

उन्होंने चेतावनी दी कि जो धर्माधिकारी अपने इस मूल मिशन को भूल जाते हैं तथा उसे मात्र पेशा मान लेते हैं वे आध्यात्मिक आल्जाईमर से ग्रस्त हो गये जिसका उपचार आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मानव शरीर दर्द, रोग एवं दुष्क्रिया से ग्रस्त हो जाता है तथा उसे उपचार की ज़रूरत होती है उसी प्रकार पेशे के घमण्ड, आपसी कलह, पद पाने की प्रतिस्पर्धा, सत्ता एवं धन के रोग से पीड़ित पुरोहितों को भी उपचार की नितान्त आवश्यकता है ताकि प्रभु येसु के प्रेम सन्देश की उदघोषणा मिशन के लिये कलीसिया स्वस्थ रह सके।








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