अहमदाबाद, सोमवार 22 दिसम्बर सन् 2014 (एएफपी): गुजरात में शनिवार को लगभग 200 ईसाइयों
को बलात हिन्दू बनाये जाने पर ख्रीस्तीय समूहों एवं राजनैतिक विपक्षी दलों सहित आम जनता
का रोष भड़क उठा है।
हिन्दू चरमपंथी दल "विश्व हिन्दू परिषद" ने कहा कि उसने
शनिवार को, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्मभूमि गुजरात में लगभग 200 आदिवासियों
का उनके मूल धर्म में धर्मान्तरण कर दिया था।
विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय
स्वयं सेवक तथा बजरंग दल जैसे चरमपंथी दल विगत कुछ दिनों से घर वापसी के नाम पर ख्रीस्तीयों
एवं मुसलमानों का बलात धर्मान्तरण कर रहे हैं।
चरमपंथियों के घर वापसी कार्यक्रम
की कड़ी निन्दा करते हुए विपक्षी काँग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को अपने एक
ट्वीट पर लिखाः "दक्षिणपंथी अतिवादी अपना बाहुबल दिखा रहे हैं। हिन्दुत्व द्वारा वीएचपी
और आरएसएस इतिहास और अर्थशास्त्र को पुनः लिख रहे हैं।"
गुजरात के एक पुरोहित
ने पत्रकारों से कहा कि वे "यह मानने को तैयार नहीं कि कोई भी ख्रीस्तीय धर्मानुयायी
अपनी निजी इच्छा से किसी अन्य धर्म का चयन करेगा।"
फादर दोमिनिक एम्मानुएल ने
ज़ी न्यूज़ चैनल की वेबसाईट द्वारा कहा, "विश्व हिन्दू परिषद लोगों को लालच देकर अपने
धर्म में उनका बलात धर्मान्तरण कर रहा है।"
इस बीच, टाईम्स न्यूज़ नेटवर्क
ने प्रकाशित किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाखुशी के कारण विहिप ने फिलहाल अपने
घर वापसी कार्यक्रम पर रोक लगाने का फैसला किया है। वीएचपी के कार्यकर्ताओं को मौखिक
आदेश दिया गया है कि फिलहाल घर वापसी कार्यक्रमों को रोक लिया जाए। यह निर्देश शनिवार
को गुजरात के वलसाड में 500 ईसाई आदिवासियों के पुनर्धर्मांतरण के कार्यक्रम पर पैदा
विवाद के बाद दिया गया है।
समाचारों में यह भी बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश
में एक संगठन ने दावा किया है कि रविवार को 6 लाख लोगों की घर वापसी कराई गई। केरल में
भी कम से कम 30 दलित आदिवासियों का पुनर्धर्मांतरण कराया गया।