2014-12-20 08:55:21

प्रेरक मोतीः सन्त पीटर कानिसियुस (1527-1597)


वाटिकन सिटी, 21 दिसम्बर सन् 2014:

सन्त पीटर कानिसियुस का जन्म सन् 1521 ई. में, हॉलैण्ड के, एक काथलिक परिवार में हुआ था। काथलिक स्कूल में प्राथमिक एवं हाईस्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे समर्पित जीवन हेतु येसु धर्मसमाज में भर्ती हो गये थे। आरम्भ ही से उनकी रुचि ईश्वर एवं आध्यत्म के अध्ययन में रही जिसके चलते उन्होंने कलीसियाई इतिहास एवं ईशशास्त्र पर कई कृतियों की रचना की। जर्मनी के कई काथलिक विश्वविद्यालयों में आप प्राध्यापक रहे तथा उन्हें अपधर्म से मुक्ति दिलाई। उनकी इस सफलता को देखकर येसु धर्मसमाज ने उन्हें ऑस्ट्रिया में विएन्ना के विश्वविद्यालय के सुधार हेतु प्रेषित कर दिया जहाँ वे बुद्धिजीवियों का दिल तो नहीं जीत पाये किन्तु रोगियों एवं प्लेग महामारी के समय अपने उदार कार्यों द्वारा विएन्ना की आम जनता के दिल में बस गये। लोगों ने तथा तत्कालीन राजा ने भी धर्मसमाजी पुरोहित पीटर को इतना पसन्द किया कि वे उन्हें विएन्ना का धर्माध्यक्ष बनाना चाहते थे किन्तु पीटर ने उच्च पद ग्रहण करने से इनकार कर दिया तथा एक साधारण पुरोहित की हैसियत से लोगों की सेवा करते रहे।


16 वीं शताब्दी के ख्रीस्तीय सुधारवाद आन्दोलन के समय पीटर कानिसियुस ने प्रॉटेस्टेण्ट प्रचारकों के आक्रमणों से काथलिक कलीसिया की रक्षा की। धर्मान्ध एवं रूढ़िवादी प्रचारकों के मिथ्या उपदेशों की उन्होंने कड़ी निन्दा की तथा विवेक एवं सूझबूझ के साथ काथलिक विश्वास के तथ्यों की प्रस्तावना की। पीटर की बौद्धिक कृतियों से प्रभावित राजा फरडीनान्द ने उन्हें काथलिक धर्मशिक्षा पुस्तक लिखने का आदेश दिया। इस चुनौती को बड़ी गम्भीरता से लेते हुए पीटर कानिसियुस ने अपने मित्र येसु धर्मसमाजी पुरोहित फादर लीजे के साथ मिलकर, सन् 1555 ई. में, काथलिक धर्म की पहली धर्मशिक्षा पुस्तक प्रकाशित की जो शीघ्र सफल हुई।


ट्रेन्ट की महासभा में पीटर कानिसियुस येसु धर्मसमाज के प्रतिनिधि थे जिसके परिणामों को उन्होंने सम्पूर्ण यूरोप के महाधर्माध्यक्षों तक पहुँचाया। उनकी बौद्धिक क्षमता तथा काथलिक विश्वास के प्रति उनकी निष्ठा के कारण ही रोम की पवित्रपीठ ने उन्हें सुधारवादी आन्दोलन के कठिन दौर में काथलिक कलीसिया के दस्तावेज़ों को जर्मनी, ऑस्ट्रिया तथा आसपास के काथलिक विश्वविद्यालयों तक पहुँचाने का संवेदनशील काम सौंपा था ताकि प्रॉटेस्टेण्ट प्रचारक काथलिक छात्रों को भ्रमित न कर पायें।


21 दिसम्बर, सन् 1597 ई. को, काथलिक विश्वास के विश्वस्त एवं ईमानदार रक्षक येसु धर्मसमाजी पुरोहित पीटर कानिसियुस का निधन हो गया था। सन्त पीटर कानिसियुस काथलिक कलीसिया के आचार्य घोषित किये गये हैं तथा उन्हें जर्मनी के द्वितीय प्रेरित नाम से पुकारा जाता है।


चिन्तनः "वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का फल देगा। जो लोग धैर्यपूर्वक भलाई करते हुए महिमा, सम्मान और अमरत्व की खोज में लगे रहते हैं, ईश्वर उन्हें अनन्त जीवन प्रदान करेगा" (रोमियो 2:6-7)।








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