2014-12-16 14:24:02

नम्र पुरस्कृत घमंडी नहीं


वाटिकन सिटी, मंगलवार 16 दिसंबर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 16 दिसंबर को वाटिकन सिटी स्थित अतिथि निवास सान्ता मार्ता के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए कहा, " ईश्वर को नम्रता प्रिय है घमंड नहीं।"

संत पापा ने कहा कि नम्रता बचाता है, घमंड खोता है। ऐसा इसलिये क्योंकि नम्र व्यक्ति खुला रहता है और वह पश्चात्ताप करता है, गलतियाँ स्वीकार करता तथा ईश्वर पर भरोसा रखता है। ठीक इसके विपरीत घमंडी खुद पर अभिमान करता, बंद रहता, ढींठ बन जाता और बिना लज़्जा के कार्य करता और ईश्वर के वचन पर ध्यान नहीं देता।

संत पापा ने कहा कि न्याय के दिन मानव की नम्रता के आधार पर ही उसे मुक्ति प्राप्त होगी या उसे सजा दी जायेगी।

संत पापा ने कहा कि नबी जेफन्या ने बताया है कि एक शहर जहाँ कुछ ऐसे लोग रहते थे जिन्होंने पापों के लिये पश्चात्ताप किया। वे ईशप्रजा है और उनमें तीन विशेष गुण हैं - नम्रता, दरिद्रता और ईश्वर पर आस्था। ऐसे लोग ही ईश्वरीय कृपा के सहभागी होंगे।

संत पापा कहा कि जो विनम्र नहीं है और अपने को बन्द करते हैं वैसे ईश्वरीय कृपा से वंचित रह जाते हैं।

संत पापा ने सुसमाचार में वर्णित दो पुत्रों के दृष्टांत पर अपने चिन्तन प्रस्तुत किये। पहला पुत्र पिता की आज्ञा की अवहेलना करता पर बाद में पश्चात्ताप करता और उसे पूर करता है किन्तु दूसरा पुत्र आरंभ में उत्साह दिखलाता पर बाद में पिता की आज्ञा नहीं मानता है।

संत पापा ने बल देकर कहा कि यदि आपका ह्रदय विनम्र और पश्चात्तापी है निश्चय ही आप ईश्वर के दर्शन करेंगे।

अपने प्रवचन में संत पापा ने एक कहानी की चर्चा की जिसमें वे कहते हैं कि एक संत ईश्वर के पास पहुँचा और कहा हे पिता मैंने पूरी उदारता आपको सबकुछ दे दिया है। तब ईश्वर ने कहा कि तुमने मुझे एक चीज़ नहीं दी है। तुमने मुझे अपना जीवन दिया, अपना काम दिया पर अब तक तुमने कुछ नहीं दिया है। तब उस व्यक्ति ने कहा कि प्रभु मैंने अपना सब कुछ दे दिया है। ईश्वर ने कहा कि तुमने अपना पाप हमें नहीं दिये हैं। उन्हें भी मुझे दे दो तब तुम्हें मुक्ति प्रदान करुँगा।










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