नेत्रहीनों के लिए इतालवी संघ की राष्ट्रीय परिषद को संत पापा का संदेश
वाटिकन सिटी, शनिवार, 13 दिसम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 13
दिसम्बर को संत लुसिया के पर्व दिवस पर वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में नेत्रहीनों
के लिए इतालवी संघ की राष्ट्रीय परिषद के करीब 100 सदस्यों से म़ुलाकात की।
संत
पापा ने उनकी संरक्षिका संत लुसिया के सद्गुणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बहुत साहसी
थीं। उन्होंने एक नबालिक किशोरी के रूप में भयंकर अत्याचार सहते हुए अदम्य साहस के साथ
मृत्यु स्वीकार किया। यह साहस उन्हें पुनर्जीवित ख्रीस्त तथा पवित्र आत्मा द्वारा प्राप्त
हुई जिनसे वे संयुक्त तथा संचालित थीं।
संत पापा ने कहा कि हमारे जीवन में चुनौतियों
का सामना करने हेतु साहस की आवश्यकता है विशेषकर, नेत्रहीनों के लिए। उन्हें हीन भावना
से ग्रसित नहीं होना चाहिए किन्तु उनके सामने उन सच्चाई को प्रस्तुत किया जाना चाहिए
जिनसे वे ईश्वर प्रदत्त क्षमताओं की सराहना कर सकें। संत पापा कहा कि इसके लिए साहस की
ज़रूरत है।
संत पापा ने संत लुसिया के दूसरे गुण के बारे बतलाते हुए कहा कि वह
अकेले नहीं, एक समुदाय में थीं। वे उस समुदाय की सदस्य थीं जिसके शीर्ष स्वयं ख्रीस्त
हैं। संत पापा ने संस्था का महत्व बतलाते हुए कहा कि आज हमें इसके अंदर खुशी और समर्पण
के साथ जीना है। समुदाय का निर्माण करना, सौहर्दपूर्ण दल बनाना, मिलना-जुलना रहना तथा
एक-दूसरे को अपना सुख दुःख बांटना आदि लोगों के सामाजिक जीवन का भाग है।
संत
पापा ने प्रतिनिधियों को उनके समर्पण की याद दिलाते हुए कहा कि विकलांग उन्हें पुकार
कर कह रहे हैं कि ″हम परित्यक्त होने के लिए नहीं किन्तु एक-दूसरों के साथ रहने तथा उनके
पूरक के रूप में बनाये गये हैं अतः हमें मदद करें हमें भी शामिल करें और हमारा सहयोग
करें।″ संत पापा ने संत लुसिया के तीसरे गुण पर ग़ौर करते हुए कहा कि वे जीवन में
दान का अर्थ हमें समझाती हैं। उन्होंने शहादत अपनाया। आत्म दान सार्वभौमिक मूल्य है।
यह सच्चे आनन्द का रहस्य है। अपने नाम के अनुरूप उन्होंने अपना जीवन दूसरों के लिए अर्पित
किया। अतः उनका दान अनमोल है।
संत पापा ने प्रतिनिधियों को संत लुसिया के माध्यम
से आधुनिक समाज की विपरीत परिस्थिति में भी अपने समर्पण के प्रति वफ़ादार बने रहने की
सलाह दी।