2014-12-10 12:15:48

वाटिकन सिटीः कलीसिया का आनन्द है माँ कहलाना, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 10 दिसम्बर 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि कलीसिया का आनन्द माँ कहलाने, लोगों तक पहुँचने तथा खोई हुई भेड़ को खोजने में निहित है।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि कलीसिया के लिये यह पर्याप्त नहीं वह एक "पूर्ण संगठनात्मक सारणी" रहे क्योंकि यदि वह सिर्फ यह होगी तो वह दुखमय एवं संकीर्ण हो जायेगी, तब वह माता नहीं कहलाएगी। उन्होंने विश्वासियों से अनुरोध किया कि वे प्रभु येसु की मृदुलता एवं कोमलता से सान्तवना प्राप्त कर हर्षोल्लास से भरे ख्रीस्तीय धर्मानुयायी बनें।

अपने प्रवचन में सन्त पापा बाईबिल धर्मग्रन्थ के प्राचीन व्यवस्थान के इसायाह के ग्रन्थ से लिये उस पाठ पर चिन्तन कर रहे थे जिसमें नबी इसायाह बाबुल के निष्कासन के बाद इसराएल की व्यथा के अन्त की बात करते हैं।

"प्रभु की सान्तवना के लिये अपने द्वारों को खोलो", नबी के इस आमंत्रण पर सन्त पापा ने कहा कि लोगों को सान्तवना एवं दिलासा की आवश्यकता रहती है और प्रभु की उपस्थिति सान्तवना का स्रोत है। उन्होंने कहा, "विश्वास की कमी के कारण हम प्रभु की सान्तवना से वंचित रह जाते हैं, हम अपनी विफलताओं एवं अपने पापों के जाल से घिरे रहते हैं तथा प्रभु की सान्तवना प्राप्त नहीं कर पाते।"

सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया कि "दया एवं क्षमा से सान्तवना मिलती है क्योंकि हमारे पापों के बावजूद प्रभु ईश्वर कभी भी हमारा परित्याग नहीं करते। सन्त पापा ने कहा कि हर विश्वासी की तरह कलीसिया भी प्रभु की दया और क्षमा पाकर प्रसन्न होती तथा अन्यों तक पहुँचकर उल्लसित होती है।

उन्होंने कहाः "सुसमाचार में चरवाहा अपनी खोई हुई भेड़ को खोजने निकलता है क्योंकि उसका हृदय दयालु है, 99 भेड़ों के होने के बावजूद वह अपनी एक खोई हुई भेड़ को ढूँढ़ने निकलता तथा उसे पाकर आनन्द मनाता है। सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया का आनन्द भी ऐसा ही है वह भी अपनी खोई हुई भेड़ों का पाकर आनन्द मनाती है, वह माता के सदृश फलप्रद होकर आनन्द मनाती है।"








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