2014-12-04 15:25:45

संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक ईसाई संगठनों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 4 दिसम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस के अवसर पर बृहस्पतिवार 4 दिसम्बर को वाटिकन स्थित पौल षष्ठम सभागार में अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक ईसाई संगठनों के संघ से, संत पापा फ्राँसिस ने मुलाकात कर उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहन दिया।

उन्होंने कहा कि उनका कार्य लोगों की कठिनाईयों में ख्रीस्त की कोमलता प्रकट करना तथा उनके साथ चलना है।
संत पापा ने कहा कि ग़रीबी के बदलते रूपों में आज प्रतिनिधित्व करने, संगठित होने तथा एकजुटता का अभ्यास करने की जरूरत है अतः वे समय के चिन्ह को पहचानने तथा ग़रीबों की मदद हेतु स्वयंसेवक बनने के लिए बुलाये गये हैं। ग़रीबों के प्रति सहानुभूति का अर्थ है व्यक्ति के जीवन के महत्व पर मिलकर विचार करना।

संत पापा ने ग़रीबी के मुख्य कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गरीबी का मुख्य कारण खराब आर्थिक प्रणाली है उन्होंने कहा कि जंगल उजाड़ा जाना, पर्यावरण प्रदूषण तथा जैव विविधता आदि कारणों से आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। प्रकृति ईश्वर प्रदत्त बहुमूल्य वरदान है जिसकी हमें देखभाल करनी चाहिए तथा सभी के हित का ख्याल रखते हुए इसका उपयोग किया जाना चाहिए।

संत पापा ने प्रकृति के प्रति स्वयंसेवकों के समर्पण को प्रोत्साहन दिया जिससे प्रकृति सभी की सम्पति बनी रहे तथा भविष्य में आने वाली पीढ़ी को हस्तांतरित किया जा सके।

संत पापा ने उन स्वयं सेवकों को सम्बोधित किया जो युद्ध प्रभावित विभिन्न देशों में शांति स्थापना, विभिन्न धर्मों एवं संस्कृतियों के बीच सेतु निर्माण तथा लोगों को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ″विश्वास आपको अधिक कठिन कार्यों को करने का साहस प्रदान करे।″
संत पापा ने विस्थापितों एवं शरणार्थियों की याद करते हुए कहा कि उन्हें सभी की मदद की आवश्यकता है।

इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि स्वयं सेवकों को नियमित करने और प्रभावी ढंग से विभिन्न परिस्थितियों से निपटने हेतु राज्यों के साथ भी सहयोग करने की ज़रूरत है।

संत पापा ने सभी स्वयं सेवकों से आग्रह किया कि वे उदारता, शांति, न्याय तथा एकजुटता लाने के लिए कार्य करें। उन्होंने प्रोत्साहन दिया कि आनन्द के इस रास्ते पर सभी मनुष्यों के साथ निष्ठा पूर्वक कार्य करते हुए अधिक से अधिक लोगों को ख्रीस्त के करीब लायें तथा कठिनाई, निराशा एवं अकेलेपन के समय में प्रार्थना द्वारा बल प्राप्त करें।








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