अंकारा, शनिवार, 29 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ तुर्की में 28 से 30 नवम्बर तक प्रेरितिक
यात्रा के क्रम में संत पापा फ्राँसिस ने 28 नवम्बर को अंकारा का दौरा करने के पश्चात्
29 नवम्बर को प्रातः 9.30 बजे तुर्की के बड़े शहर इस्तांबुल के लिए प्रस्थान किया।
वाटिकन
रेडियो के सूत्रों ने बतलाया कि अंकारा के हवाई अड्डा का तापमान बहुत कम था जिसके कारण
अनातोलियन पठार तथा आस-पास के पहाड़ की चोटियों पर ढका बर्फ साफ दिखाई दे रहा था। अंकारा
एक आधुनिक एवं प्रगतिशील शहर है जो सन् 1923 ई. में अतातुर्क द्वारा स्थापित किया गया
था। अतातुर्क को तुर्की के राष्ट्र पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 15 वर्षों
तक प्रथम राष्ट्रपति का कार्यभार सँभाला। उनके मक़बरे पर एक बड़े मस्जिद का निर्माण किया
गया है। संत पापा ने वहाँ रुक कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने ग़ौर
किया कि यह देश यूरोप एवं एशिया को जोड़ने वाले एक सेतु के समान है। उन्होंने आशा व्यक्त
की कि यह आधुनिक शहर न केवल भौगोलिक रूप में एक सेतु के समान है किन्तु विभिन्न धर्मों
और जातियों के लोगों के बीच शांतिपूर्ण सांस्कृतिक मिलन स्थान भी है।
तुर्की के
राष्ट्रपति एर्दोगन ने संत पापा फ्राँसिस एवं वाटिकन के प्रतिनिधियों का शानदार स्वागत
किया। उन्होंने अपने भाषण में कई बातों को रखते हुए पश्चिमी समाज की बुराईयों, मुस्लमानों
के प्रति उनके पूर्वाग्रह, असहिष्णुता, नस्लवाद और इस्लामी भय को उजागर किया जब कि धार्मिक
मामलों के प्रमुख प्रोफेसर गोमज़ ने संत पापा के संदेश में अपना संदेश जोड़ते हुए कहा
कि ग़रीबी, भुखमरी, घृणा, संघर्ष, प्राकृतिक आपदा तथा सभी प्रकार की कट्टरता का सामना
करने हेतु सभी धर्मों के लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा।
संत पापा ने
कहा कि मानव त्रासदी जो कट्टरपथियों द्वारा उत्पन्न किया जा रहा है, उसके कारण इराक तथा
सीरिया के आस-पास के लाख परिवारों, माताओं, बच्चों तथा वयोवृद्धों को विस्थापित होना
पड़ रहा है। उन्होंने तुर्की की सराहना की क्योंकि वह शरणार्थियों को स्वीकार कर उनकी
मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय एवं मुसलमान नेताओं को इस समस्या का निदान
ढूंढने की दिशा में अधिक प्रयास करना चाहिए।