2014-11-20 12:04:26

23 नवम्बर को भारत के धन्य चावरा और धन्य युफ्रासिया संत घोषित किये जायेंगे


कोची, बृहस्पतिवार 20 नवम्बर, 2014 (उकान) वाटिकन सिटी के संत पेत्रुस महागिरजाघर के एतिहासिक प्राँगण मे 23 नवम्बर रविवार को एक भव्य समारोह में भारत के सिरो मलाबार कलीसिया के धन्य चावरा एलियस कुरियाकोस (1805 -1871) और धन्य सिस्टर युफ्रासिया (1877 – 1952) को संत पापा संत का दर्जा प्रदान करेंगे।

उकान समाचार के अनुसार इस समारोह में हिस्सा लेने के लिये 4 हज़ार भारतीय रोम के लिये रवाना हो रहे हैं ताकि भारत की एक कर्त्तव्यनिष्ठ धर्मबहन और एक समाज सुधार पुरोहित के संत घोषित किये जाने की धर्मविधि का साक्ष्य दे सकें।

मालूम हो कि छः वर्ष पूर्व इम्माकुलेट कोनसेप्शन की एक धर्मबहन सिस्टर अल्फोन्सा को भारत का प्रथम संत होने का गौरव प्राप्त हुआ था।

सिरोमलाबार कलीसिया के मेजर महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जोर्ज अलेन्चेरी ने बताया कि दोनों नये संतों को भारत के केरल में उत्तम आध्यात्मिक एवं सामाजिक चेतना मिली और आज वे आधुनिक कलीसिया के लिये नींव बन गये हैँ।

उन्होंने कहा कि करीब चार हज़ार भारतीय संत घोषणा समारोह में हिस्सा लेंगे। उनके साथ यूरोप में कार्यरत हज़ारों अन्य धर्मसमाजी और पुरोहितों के समारोह में भाग लेने की संभावना है।

संस्थापक धन्य चावरा के धर्मसमाज कारमेलाइट्स ऑफ़ मेरी इम्माकुलेट (सीएमआई) के जनसंपर्क अधिकारी फादर रोबिन कननचिरा ने बताया कि 19वीं शताब्दी में धन्य चावरा केरल में समाज सुधार आन्दोलन चलाया और तत्कालीन सामाजिक बुराई जाति प्रथा, भेदभाव तथा अंधविश्वास जैसे बुराइयों को समाज से हटाने की मुहिम चलायी।

अपने भाषण में केरल संस्कृत युनिवर्सिटी के पूर्व उपकुलपति के एस राधाकृष्णन के कहा था कि धन्य चावरा केरल में आधुनिक सेकुलर शिक्षा की नींव डाली और विभिन्न पल्लियों में इसका प्रचार-प्रसार किया।

उन्होंने सन् 1846 ईस्वी में एक संस्कृत स्कूल की भी स्थापना की ताकि आम लोग भी इसका अध्ययन कर सकें। विदित हो संस्कृत अध्ययन करना आम लोगों के पहुँच के बाहर थी। उन दिनों संस्कृत अध्ययन धन, सत्ता, पद और उच्च वर्ग के लोगों की संपति मानी जाती थी।

धन्य चावरा ने 1829 में पहला स्थानीय धर्मसमाज की स्थापना की जिसे कार्मेलाइट ऑफ़ मेरी इम्माकुलेट के नाम से जाना गया। और करीब 4 दशकों उन्होंने सन् 1866 ईस्वी में कार्मेलाइट मिशनरी लियोपोल्ड बेक्कारो के सहयोग से महिलाओं के लिये एक धर्मसमाज की स्थापना की जिसे कोन्ग्रेगेशन ऑफ़ मदर कार्मेल के नाम से जाना जाता है।

धन्य चावरा के साथ-साथ धन्य यूफ्रासिया भी 23 नवम्बर को संत घोषित की जायेंगी। धन्य युफ्रासिया को 'प्रेयिंग मदर ' या ' प्रार्थना करनेवाली माँ ' रूप में जाना जाता है।

मदर यूफ्रासिया की प्रार्थना, सलाह और निर्देशन से कई लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिला और कई लोगों ने ईश्वरीय मार्ग की पहचान की।














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