वाटिकन सिटी, सोमवार 17 नवम्बर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा ने वाटिकन सिटी में " विवाह
में नर और नारी की संपूरकता " विषय पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार
और विवाह संकट के दौर से होकर गुज़र रहा है। संत पापा ने कहा कि संपूरकता एक ऐसा
समृद्ध शब्द है जिसके अनेक अर्थ हो सकते हैं जैसे – एक या दो व्यक्ति दूसरे को पूर्ण
करते या पूर्ण बनाते हैं। ख्रीस्तीय संदर्भ में संपूरकता का अर्थ इससे भी गहरा है।
इसके अर्थ को हम प्रेरित संत पौल द्वारा कुरिन्थियों को लिखे गये पत्र में पाते हैं।
संत पौल कहते हैं कि पवित्र आत्मा ने हमें विभिन्न वरदानों से पूर्ण किया है ताकि जिस
तरह से मानव के विभिन्न अंग पूरे मानव के लिये कार्य करते हैं ताकि सम्पूर्ण मानव का
कल्याण हो विभिन्न वरदान में इसी तरह से प्रत्येक के हित के लिये कार्य कर सकेगा। संत
पापा ने कहा कि संपूरकता पर चिन्तन करने के लिये हम प्रकृति का उदाहरण भी ले सकते हैं।
संपूरकता प्रकृति का प्राण है। ऐसा इसलिये क्योंकि पवित्र आत्मा जो सामंजस्य का जन्मदाता
है प्रकृति में इस सामंजस्य को पूर्ण रूप से प्राप्त करता है। संत पापा ने सेमिनार
में भाग लेनेवाले प्रतिनिधियों की सराहना करते हुए कहा कि आज इस बात की सख़्त ज़रूरत
है कि हम नर और नारी की संपूरकता के बारे में चिन्तन करें। विवाह और परिवार की जड़ में
संपूरकता ही है । यही से हम एक-दूसरे के वरदानों के लिये ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।
संत पापा ने कहा कि परिवार ही वह पाठशाला है जहाँ हम विभिन्न गुणों, मूल्यों और आदर्शों
को सीखते हैं और यही से हम इन गुणों को सीखते हैं। संत पापा ने लोगों को याद दिलाया
कि परिवार सिर्फ़ गुणों को नहीं बाँटती है पर यही वह स्थल है जहाँ व्यक्ति दुनिया की
बुराइयों को भी देखता है। मानव परिवार में ही कई प्रकार के तनाव से परिचित होता है जैसे
-अहंकार और परोपकारिता, विवेक तथा आवेग और तत्काल पूरी करने की इच्छा और लंबी दूरी के
लक्ष्य के बीच तनाव आदि। इतना ही नहीं परिवार ही हमें इसके समाधान के उपाय भी देते हैं।
संत पापा ने कहा कि संपूरकता मात्र भला नहीं है पर आवश्यक और सुन्दर भी है। उन्होंने
कहा कि आज ज़रूरत है इस बात को बताने की विवाह एक स्थायी समर्पण है, विश्वसनीयता है और
मानव ह्दय के प्रति एक सफल प्रेम प्रत्युत्तर है। संत पापा ने आशा जतायी कि नर और
नारी की संपूरकता पर आयोजित सेमिनार विवाह में नर और नारी की प्राकृतिक, विशेष और मूल
वैवाहिक एकता को सुदृढ़ करेंगे व्यक्ति, परिवार, समुदाय और सम्पूर्ण विश्व के हित के
लिये अपना योगदान देंगे।