वाटिकन सिटी, मंगलवार, 11 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत
मार्था के प्रार्थनालय में मंगलवार 11 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने पावन ख्रीस्तयाग
अर्पित करते हुए सेवा के सद्गुण पर प्रकाश डाला।
उन्होंने प्रवचन में कहा कि हम
सेवकों के प्रशिक्षण की बात करते हैं किन्तु एक सेवक में सेवा के मनोभाव का होना पर्याप्त
है क्योंकि वह उसी मनोभाव से कार्य करता है। येसु अपने आपको एक सेवक के रूप में प्रस्तुत
करते हैं जो सेवा कराने नहीं सेवा करने आये थे।
प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस
रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु उस सेवक का दृष्टांत सुनाते हैं जो दिनभर
काम करने का बाद, स्वामी का भोजन विनम्रता पूर्वक तैयार करता है तथा बदले में किसी चीज
की आशा नहीं करता है।
संत पापा ने कहा, ″आलस्य हमें काम से दूर रखता, आराम की
खोज कराता और स्वार्थी बना देता है। कई ख्रीस्तीय अच्छे हैं, वे गिरजा जाते हैं किन्तु
सेवा करने से कतराते हैं।
संत पापा ने सेवा का अर्थ समझाते हुए कहा कि सेवा हर
बात में लागू होती है उदाहरण के लिए ख्रीस्तयाग, प्रार्थना, दूसरों की सेवा आदि। जब किसी
काम को शुरू करते हैं तो उसे पूरा करना चाहिए। येसु इस बात पर जोर देते हैं क्योंकि वे
कहते हैं कि जब तुम सब कुछ पूरा कर लोगे तो कहोगे में एक अयोग्य सेवक मात्र हूँ।
संत
पापा ने कहा कि जीवन में जब हम प्रलोभनों का सामना कर रहे होते हैं तब हम सेवा के मनोभाव
को भूल जाते हैं। आलसीपन हमें आराम की खोज कराता तथा एक मध्यस्थ बनाता है। तब हम परिस्थिति
को अपने कंट्रोल में ले लेते और हम मालिक बन जाते हैं जो हमें घमंडी, चिड़चिड़ा तथा लोगों
के साथ बुरा बर्ताव कराता है। ख्रीस्तीय होने के नाते हम अपने को महान समझने लगते हैं।
संत पापा ने कहा कि सेवा के सदगुण को अपनाने के लिए प्रभु हमें दो बातों पर ध्यान
देने की अपील करते हैं, सेवा में दीनता तथा इंतजार करते समय आशा बनाये रखना।
संत
पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय सेवा को सत्ता में नहीं बदल सकते। उन्होंने उपस्थित ख्रीस्तीयों
से कहा कि हम उस प्रलोभन का सामना करें जो हमें दूसरों की सेवा करने से रोकता है। येसु
के समान हम भी बिना किसी चीज की आशा किये सेवा दें क्योंकि विश्वास की शक्ति सेवा में
प्रकट होती है।