वाटिकन सिटी, सोमवार 10 नवम्बर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 10 नवम्बर सोमवार
को फ्राँस के लूर्द में इकत्रित फ्राँसीसी सेमिनेरियनों को अपना संदेश भेजा।
संत
पापा ने कहा, " मैं आप लोगों का ध्यान तीन शब्दों की ओर करना चाहता हूँ – भ्रातृत्व,
प्रार्थना और मिशन।
प्रेरितों के क्रिया कलाप हमारा ध्यान इस ओर खींचना चाहते
हैं कि येसु के शिष्यों का केवल एक ही ह्रदय था और आप लोगों की सभा भी इस बात का संकेत
है।
आपके सेमिनार का समय चेलों के उस गहरे अनुभव के समान है जिसे चेलों ने उस
समय अनुभव किया जब उन्होंने उन्हें चुना और सुसमाचार का प्रचार करने के लिये भेजा।
चेलों
का भ्रातृभाव इस बात की ओर इंगित करता है कि उनकी एक ही आत्मा थी। वे एक होकर कार्य करते
थे। एकता में कार्य करना शिष्य होने की हमारी बुलाहट का अभिन्न अंग है।
एक पुरोहित
अकेला हो ही नहीं सकता है इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात हैं कि वह व्यक्तिवादी कदापि नहीं
हो सकता।
संत पापा ने कहा कि आपकी सभा में आप एक साथ मिलकर रहते हैं, एक-दूसरे
को जानते हैं, सराहना करते और एक-दूसरे का साथ देते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो आप एक-दूसरे
को मदद देते हैं ताकि दूसरा अपने मिशन को ठीक से पूरा कर सके और ईश्वरीय प्रेम का साक्ष्य
दे सके ताकि दुनिया येसु को पहचान सके।
संत पापा ने कहा कि यदि हम ऐसा कर पाते
हैं तो यह हमारी ओर से ईश्वर के लिये सच्चा उपहार सिद्ध होगा।
संत पापा ने कहा,
" मैं आप लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित करता हूँ कि आप भ्रातृभाव में आगे बढ़ें,
दूसरों से प्रेम करें और उन बातों को करें जिसे करने की प्रेरणा पवित्र आत्मा दे। ऐसा
करते हुए आप निश्चय ही अपनी पुरोहिताई बुलाहट को सही तरीके से जी पायेंगे।"
दूसरी
बात है – प्रार्थना। जिस तरह चेलों ने माता मरिया के साथ प्रार्थना करते हुए उन्होंने
पवित्र आत्मा का इन्तज़ार किया। आपको ईश्वर ने चुना है ताकि आप येसु की पुरोहिताई के
सहभागी बनें और दुनिया के लिये कार्य कर सकें।
माता मरिया के साथ एक होकर प्रार्थना
करने से हम जीवन की हर तरह की प्रार्थनायें सीख सकते हैं।
आप सदा याद रखें कि
जैसे येसु ने प्रार्थना के लिये अपना समय निकाला उसी प्रकार आपको भी चाहिये कि आप भी
प्रार्थना करें और पिता के रहस्यों को जानें।
संत पापा ने कहा कि अब हम तीसरे
बिन्दु पर चिन्तन करें और वह है - मिशन। बपतिस्मा के द्वारा आपने इस बात की घोषणा की
है कि आप सुसमाचार का प्रचार करेंगे। इस तरह से आप अपने धर्माध्यक्ष के निर्दश के अनुसार
सुसमाचार का प्रचार करेंगे।
संत पापा ने सेमिनेरियनों को प्रोत्साहन देते कहा
कि वे दुनिया में जायें विशेष करके उनके पास जो ज़रूरतमंद हैं और उन्हें सुसमाचार सुनायें।
प्रार्थना मिशन के साथ जुड़ा हुआ है और मिशन के केन्द्र में है प्रेम जिसका प्रचार
भ्रातृभाव के साथ किया जाना है।