वाटिकन सिटी, शनिवार 8 नवम्बर, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 7 नवम्बर
को वाटिकन सिटी स्थित सान्ता मार्ता अतिथि निवास के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान
अर्पित करते हुए अपने प्रवचन में कहा, " सांसारिक बातें जो हमें बरबाद कर सकते हैं हम
उनके प्रलोभनों से बचें। संत पापा ने फिलिप्पियों के नाम संत पौलुस के पत्र के आधार
पर उपस्थित लोगों को अपने चिन्तन प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा, "जिस प्रकार फिलिप्पी
में दो प्रकार के ख्रीस्तीय थे, आज की स्थिति भी वैसी ही है- ख्रीस्तीय जो विश्वास के
साथ आगे बढ़ते हैं और ख्रीस्तीय जो येसु के क्रूस के दुश्मनों के जैसे जीवन जीते हैं।"
उन्होंने कहा कि दोनों प्रकार के लोग एक साथ गिरजाघर जाते हैं, रविवरीय पूजन समारोहों
में सहभागी होते हैं, ईश्वर की स्तुति करते हैं और दोनों ख्रीस्तीय होने का दावा करते
हैं। तो दोनों में क्या अन्तर है ? संत पापा ने कहा, " जो ख्रीस्तीय सांसारिक है,
वे नाम के लिये ख्रीस्तीय हैं और वे दो या तीन ख्रीस्तीय बातों का पालन करते हैं - ऐसे
लोग नाममात्र के खीस्तीय हैं। उनका नाम ख्रीस्तीय है पर काम सांसारिक। ऐसे लोग ख्रीस्तीयता
का रंग लगाये हुए है या हम कहें वे ख्रीस्तीयों के समान दिखाई देते हैं।" संत पापा
ने लोगों को सावधान करते हुए कहा, " हम दिखावे के ख्रीस्तीय बनने से बचें। ख्रीस्तीयता
का रंग लगाने का प्रलोभन हमें क्षुद्र और निरुत्साही बनाता है। येसु ने ऐसे ख्रीस्तीयों
के लिये अति कठोर शब्दों का प्रयोग किया था। ऐसे लोग येसु के क्रूस के शत्रु हैं। ये
नाम के ख्रीस्तीय है दिल से नहीं। संत पौल कहते हैं कि ख्रीस्तीयों की नागरिता स्वर्ग
की है दुनिया की नहीं पर जो लोग नाम के ख्रीस्तीय हैं उनकी नागरिकता स्वर्ग की है पर
उनका गोत्र दुनियावी है। और ऐसे लोगों का विनाश निश्चित है। पर जो येसु के क्रूस को लेकर
चलते हैं वे ईश्वर के दर्शन करते हैं। संत पापा ने कहा, " यदि आपका दिल दुनियावी वस्तुओं
की ओर झुका हुआ है और तुम रुपये असारता या निर्थकता और घमंड के पथ पर चलते हो तो तुम्हारा
विनाश होगा पर यदि तुम ईश्वर को प्यार करते और दूसरों की सेवा में नम्रतापूर्वक जीवन
जीते हो तो तुम्हारे पास वह ' पास ' है जो तुम्हें ईश्वर के पास ले जायेगा।