2014-11-04 18:23:35

ख्रीस्तीय विश्वास का सार – येसु का पुनरुत्थान


वाटिकन सिटी, मंगलवार 4 नवम्बर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 3 नवम्बर सोमवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर में पिछले वर्ष स्वर्गसिधारे धर्माध्यक्षों और कार्डिनलों के आत्मा शांति के लिये यूखरिस्तीय अनुष्ठान अर्पित किया।

संत पापा ने प्रवचन देते हुए कहा कि ख्रीस्तीय विश्वास का सार है - येसु का पुनरुत्थान। उन्होंने विश्वासियों को याद दिलाया कि उन्हें चाहिये वे सत्य और अनन्त जीवन से पूर्ण येसु के पुनरुत्थान के लिये ईश्वर को धन्यवाद दें।
संत पापा ने अपने प्रवचन में दूसरे मक्काबियों के 12वें अध्याय के 43 से 46 वें पदों की व्याख्या करते हुए कहा कि उस ज़माने में येरूसालेम का शासक दो हज़ार चाँदी के अशर्फियाँ लेकर बलिदान अर्पित करता था ताकि मृतकों के पाप धुल जायें और उसे पुनरुत्थान प्राप्त हो। फिर भी यह अपूर्ण ही था। येसु का मृतकों में से जी उठने की घटना ने पुनरुत्थान के अर्थ को पूर्ण रूप से आलोकित किया है।
संत पापा ने कहा कि सम्पूर्ण दिव्य प्रकाशना, ईश्वर और उसकी प्रजा के बीच हुई वार्ता का फल है। इस प्रक्रिया में विश्वास भी वार्ता का अभिन्न अंग रहा है जिसने मानव इतिहास में मानव जाति को अपना साथ प्रदान किया।
हमें इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि ऐसे अर्थपूर्ण और अलौकिक रहस्य - पुनरुत्थान को समझने के लिये मानव जाति को एक लम्बी यात्रा करनी पड़ीं। आखिर जब ईशपुत्र येसु मसीह इस दुनिया में आये तब पुनरुत्थान का अर्थ स्पष्ट हुआ।
येसु ने स्पष्ट रूप से कहा, ' मैं हूँ पुनरुत्थान और जीवन ' क्योंकि उन्हीं में और उनके दवारा ही यह पहली बार यह रहस्य पूरा हुआ।
संत पापा ने संत मारकुस के सुसमाचार लिये पाठ के आधार पर चिन्तन करते हुए कहा येसु की कब्र खाली पायी गयी और यहीं से पुनरुत्थान की कहानी आरंभ होती है और दुनिया के लोगों, ईश प्रजा और पूरी मानव जाति को एक उत्तर के रूप में पुनरुत्थान का अर्थ समझाती है।
संत पापा ने कहा आज हम में से प्रत्येक जन को आमंत्रित किया जाता है कि हम पुनरुत्थान के इस रहस्य के अभिन्न अंग बनें। आज हम आमंत्रित किये जाते हैं कि हम भी येसु के क्रूस के निकट खड़े और माता मरिया, अन्य महिलाओं तथा शतपति के समान ही ईश्वर की वाणी को सुनें तब हम पायेंगे कि येसु सचमुच जी उठे हैं।
हम प्रेरित संत पौल की बातों पर भी चिन्तन करें जो कहते हैं कि यदि येसु जी नहीं उठे हैं तो हमारा विश्वास व्यर्थ है।
संत पापा ने पिछले बाहर महीनों में प्रभु को प्यारे हुए धर्माध्यक्षों एवं कार्डिनलों के लिये प्रार्थना की कि ईश्वर उन्हें उनकी सेवाओं के लिये नये येरूसालेम में प्रवेश पाने की खुशी और शांति का पुरस्कार प्रदान करें।
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