वाटिकन सिटी, सोमवार 3 नवम्बर, 2014 (सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 1 नवम्बर को
रोम स्थित वेरानो क़ब्रिस्थान में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए प्रोत्साहन दिया
कि विश्वासी धन्य या आनन्द के रास्ते में चलें जो उन्हें पवित्रता की उँचाई पर ले जायेगा।
उन्होंन कहा कि जो व्यक्ति धन्य या आनन्द के मार्ग पर चलता है वह ईश्वर के पास पहुँचेगा
और ईश्वर से मिलकर वह संतों की संगति में शामिल हो जायेगा। संत पापा ने इस बात पर
बल दिया कि जब ईश्वर की ओर वापस यात्रा कर रहे हैं तो हमारे रास्ते में विनाश, युद्ध
और क्लेश का वातावरण है ऐसे में हमें चाहिये कि हम उन धन्यों को अपनाये जिन्हें येसु
ने हमें दिया है। उन्होंने याद दिलाया कि इस पथ में समस्यायें हैं और सतावट भी है
पर इसका एक ही उत्तर है कि हमें आनन्द के पथ पर आगे ही बढ़ते जाना है। अपने उपदेश
में संत पापा ने उन तमाम ऐसे संतों की याद की जिन्हें लोग नहीं जाते हैं। संत पापा ने
संत पापा जोन पौल द्वितीय और जोन तेईसवें की कब्रों पर भी आशिष दी। संत पापा ने कहा
वेरानो के क़ब्रिस्तान आकर वे उनके साथ आध्यात्मिक रूप से एक हो गये हैं जो इन दिनों
क़ब्रिस्तान में अपने मृत प्रियजनों के लिये प्रार्थना करने के लिये यहाँ आते थे। विदित
हो कि संत पापा का कम्पो वेरानो क़ब्रिस्तान आना, उनका दूसरा दौरा था। कम्पो वेरानो क़ब्रिस्थान
रोम में संत लौरेंस बसिलिका के निकट है जिसे 19वी शताब्दी में बनाया गया था। कम्पो
वेरानो क़ब्रिस्तान को कई भागों में बाँटा गया है जिसमें यहूदी, क़ब्रिस्तान, काथलिक
क़ब्रिस्तान और प्रथम विश्व युद्ध के शिकार लोगों के लिये क़ब्रिस्तान शामिल हैं। रोमन
रिपब्लिक के समय कम्पो वेरानो की ज़मीन ' वेरिनी ' परिवार की सम्पति थी। प्राचीन काल
से ही यह क़ब्रिस्तान के रूप में प्रयोग किया जाता था। इटली के वास्तुकार जियुसेप्पे
वालादियेर द्वारा निर्मित आधुनिक क़ब्रिस्तान को 1835 ईस्वी में विश्वासियों के लिये
उपलब्ध कराया गया। समाचार के अऩुसार द्वितीय विश्व युद्ध के समय सन् 1943 ईस्वी में
क़ब्रिस्तान ध्वस्त हो गया था पर इसका जीर्णोद्धार कर दिया गया है। अभी क़ब्रिस्तान के
तीन मुख्य द्वार हैं जिसमें चार बड़ी मूर्त्तियाँ है जो चिन्तन, आशा, प्रेम और मौन का
प्रतीक है।