2014-11-01 15:44:31

नियम पालन से बढ़कर है न्याय एवं प्यार


वाटिकन सिटी, शनिवार, 1 नवम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने उन ख्रीस्तीयों के प्रति खेद प्रकट किया जो नियम पालन पर बहुत अधिक जोर देने के कारण प्रेम एवं न्याय जैसी भावनाओं को नकार देते हैं।

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में शुक्रवार 31 अक्टूबर को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने प्रवचन में कहा कि जो लोग नियम से बहुत अधिक संलग्न होते है वे प्यार एवं न्याय जैसी ख्रीस्तीय सद्गुणों से अपने को दूर कर देते हैं। वे नियम का अक्षरशः पालन तो करते किन्तु दूसरी ओर न्याय और प्यार की भावना का परित्याग करते हैं।
प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार पर चिंतन किया जहाँ ईसा ने शास्त्रियों तथा फ़रीसियों से कहा, ''विश्राम के दिन चंगा करना उचित है या नहीं?''

संत पापा ने शास्त्रियों तथा फ़रीसियों की ओर ध्यान खींचते हुए कहा, ″वे ही मॉडल थे तथा उन लोगों के लिए येसु के पास एक उपयुक्त शब्द था ‘ढोंगी’। एक तरफ तो वे लोगों की खोज में दुनिया भर की यात्रा करते किन्तु दूसरी ओर लोगों के लिए अपना द्वार बंद कर देते थे।
संत पापा ने कहा आत्म केंद्रित, नियम पालन पर आसक्त तथा नियम का अक्षरशः पालन करनेवाला व्यक्ति आशा, प्रेम तथा मुक्ति का द्वार बंद कर देता है और वह सिर्फ द्वार बंद करना जानते है।″

संत पापा ने कहा कि नियमों के प्रति विश्वस्त रहते हुए, न्याय एवं प्रेम की भावना का परित्याग किये बिना जीना उन ढोंगी शास्त्रियों तथा फ़रीसियों के व्यवहार से बिलकुल भिन्न है और इसी रास्ते के बारे में येसु हमें शिक्षा देते हैं। यह रास्ता प्यार और न्याय द्वारा ईश्वर की ओर हमें अग्रसर करता है जबकि दूसरा रास्ता सिर्फ नियम तक सीमित है उसके शब्दों तक ही और जो हमें अपने में बंद करता एवं हमें पाखंडी बना देता है।

संत पापा ने कहा जो रास्ता हमें प्यार से ज्ञान और ज्ञान से परख तथा पवित्रता की ओर हमें अग्रसर करती वह मुक्ति की राह पर आगे बढाती तथा अंततः ख्रीस्त से हमारी मुलाकात कराती है।

संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि येसु हमें अपनी ओर आकृष्ट करते हैं इसका अर्थ है कि हम सच्चाई के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि उन्होंने हमें मुक्ति प्रदान करने के लिए चुना है। उनका शरीर हमारे लिए न्याय एवं प्यार का चिन्ह है। ईश्वर ने मुक्ति की राह पर हमें मदद करने हेतु मानव का रूप धारण किया, हमें भी दूसरों की मदद के लिए उन्हीं के समान बनना है।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर के करीब आने का सेतु येसु का शरीर है न कि नियम के अक्षर। उन्होंने प्रार्थना की कि येसु के प्यार का उदाहरण हमें घमंड और दिखलावे की भावना से बचने में मदद दे।








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