वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 30 अक्टूबर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ जीने का अधिकार सभी मानव
अधिकारों की आधारशीला है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक
महाधर्माध्यक्ष बेरर्नादितो औज़ा ने बुधवार 29 अक्टूबर को, न्यूयॉर्क में आयोजित मानव
अधिकार संबंधी संयुक्त राष्ट्र महासभा समिति की बैठक में कहा कि जीने का अधिकार प्रकृति
के नियम में निहित है तथा अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार नियम द्वारा सुरक्षित है क्योंकि
वह मानव के सभी अधिकारों की आधारशीला है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, ″सभी के जीवन
को गर्भाधान से लेकर स्वाभाविक मृत्यु तक हर चरण में, पूर्ण सुरक्षा उपलब्ध की जानी चाहिए।″
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में तमाम चुनौतियों का सामना
करने हेतु जीने के अधिकार के साथ-साथ विचारों की स्वतंत्रता का अधिकार, अंतःकरण तथा धार्मिक
स्वतंत्रता के अधिकार की आवश्यकता है।
महाधर्माध्यक्ष औज़ा ने ग़ौर किया कि कई
धर्मों में धार्मिक स्वतंत्रता के विरूद्ध हिंसा बढ़ रही है तथा उन धर्मानुयायियों की
क्रूरता विशेषकर, अल्पसंख्यकों के प्रति गहन होती जा रही है। उन्होंने कहा, ″यह हिंसा
निरर्थक है जो न केवल अल्पसंख्यक जाति और धर्मानुयायियों के विरूद्ध है किन्तु मौलिक
मानवीय अधिकार का ज़बरदस्त उल्लंघन है और इस पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।″