2014-10-29 14:54:21

मानव प्राणी का कल्याण करना ही है सच्ची एकजुटता


वाटिकन सिटी, बुधवार 29 अक्तूबर 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने रोम में आयोजित विश्व लोक आन्दोलन के सेमिनार के लिये एकत्रित प्रतिनिधियों से मंगलवार 28 अक्तूबर को मुलाक़ात की।
विश्व लोक आन्दोलन सेमिनार आयोजन न्याय और शांति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति ने किया है।

संत पापा फ्राँसिस ने लोक आन्दोलन के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, " लोक आन्दोलन पर सेमिनार एक चिह्न है, एक बड़ा संकेत है। आप यहाँ पर ईश्वर की उपस्थिति में कलीसिया के समक्ष हैं जो एक ऐसी सच्चाई है जिसे कई बार शांत कर दिया जाता है। गरीब सिर्फ़ अन्याय न झेलें पर इसके विरुद्ध में आवाज़ उठाते हैं।"

संत पापा ने कहा कि हम झूठे वादों से संतुष्ट नहीं हो सकते हैं। समस्याओं को अपने वश में कर लेना या उसके प्रति चेतनाशून्य हो जाना काफ़ी नहीं है।

उन्होंने कहा, "आज ज़रूरत है एकजुटता की - जिसका अर्थ है कुछ उत्साह और उदारता दिखाना मात्र नहीं। इसका अर्थ है चिन्तन करना और एक समुदाय के रूप में कदम उठाना। इसका अर्थ है गरीबी, असमानता, बेरोजगारी, जमीन आवास की बेदखली के संरचनात्मक ढाँचे का विरोध करना।

संत पापा ने कहा कि एकजुटता या संघीभाव का अर्थ यह भी है 'रुपये के साम्राज्य' का विरोध करना। बलात् विस्थापन और आप्रावासी बनाने को मजबूर किये जाने, मानव तथा नशीली दवाओं की तस्करी, युद्ध, हिंसा और अन्य सब प्रकार की सामाजिक बुराइयाँ जिनसे मानव पीड़ायें झेलता है का विरोध करना एवं समाज में बदलाव लाना।

उन्होंने कहा कि एकजुटता का गहरा अर्थ है - एक ऐसे इतिहास की रचना करना जिसे 'लोक आन्दोलन' करने में लगा है।

संत पापा ने कहा कि ज़मीन पर एकाधिकार, जंगलों की अवैध कटाई, पानी की विनियोग, और पर्याप्त जमीन तथा अपर्याप्त 'एग्रोकेमिकल्स' जैसे मुद्दों के बारे में आवाज़ उठाये जाने की ज़रूरत है।

संत पापा ने मानव की मर्यादा की रक्षा करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक प्रणाली के केन्द्र में हो – मानव प्राणी।

संत पापा ने कहा, "मुझे मालूम है कि आपके बीच विभिन्न धर्मावलंबी, समुदाय, पेशा, धर्म, विचार, संस्कृति और राष्ट्रों के प्रतिनिधि हैं आज हम मानव की ओर लौटें और उसे मानव प्राणी का उचित सम्मान दें।









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