संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के अर्ध-प्रतिमा का अनावरण
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014 (एशियान्यूज़)꞉ ″संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें एक
महान संत पापा थे, अपनी तीक्ष्णबुद्धि एवं क्षमता के कारण, ईश शास्त्र में अपने महत्वपूर्ण
योगदान, कलीसिया के प्रति प्यार तथा एक मानव के रूप में अपनी धार्मिकता एवं सद्गुणी होने
के कारण।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 27 अक्तूबर को, सेवा निवृत संत पापा बेनेडिक्ट
16 वें के सम्मान में बनी अर्ध-प्रतिमा के अनावरण समारोह के अवसर पर कही।
विदित
हो कि परमधर्मपीठीय विज्ञान अकादमी के मुख्यालय के सम्मुख संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
के सम्मान में उनकी एक प्रतिमा स्थापित की गयी है जिसका अनावरण संत पापा फ्राँसिस ने
की। संत पापा फ्राँसिस ने पूर्वाधिकारी सेवा निवृत संत पापा बेनेडिक्ट के कार्यों
की याद करते हुए कहा, ″संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की अर्ध-प्रतिमा हमें उनके चेहरे की
याद दिलाती है। यह उनकी भावना को प्रकट करती है, जिसे हम उनकी शिक्षा, उदाहरणों, कार्यों,
कलीसिया के प्रति उनका समर्पण तथा वर्तमान में एक मठवासी में पाते हैं।″
उन्होंने
संत पापा बेनेडिक्ट के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सत्य के प्रति उनका प्रेम
न केवल ईशशास्त्र एवं दर्शनशास्त्र तक सीमित है किन्तु वे विज्ञान के प्रति भी खुले है।
विज्ञान के प्रति उनके लगाव ने उन्हें जाति, राष्ट्र एवं नागरिकता से बढ़कर विज्ञान के
प्रति रुचि रखने की प्रेरणा दी। उनकी इस उत्सुकता के कारण संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने
उन्हें विज्ञान अकादमी का सदस्य नियुक्त किया था। उनकी सदस्यता एवं विचारों द्वारा अकादमी
सम्मानित हुआ है।
अकादमी द्वारा बहस किये जा रहे प्रकृति के विकासशील सिद्धान्त
पर विचार प्रकट करते हुए संत पापा ने कहा, ″बिग बैंग जिसे आज विश्व की उत्पति मानी जा
रही है, यह सृष्टिकर्ता के कार्यों का विरोध नहीं करती और न ही प्रकृति में सृष्टि के
निर्माण के प्रति असंगत है क्योंकि यह सिद्धांत सृष्टि में प्राणियों के विकास की मांग
करती है।″ संत पापा ने आधुनिक संस्कृति में विज्ञान के महत्व को पहचानते हुए उन्होंने
अपने प्रशासन काल में पहली बार विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष को सिनॉड में भाग लेने का निमंत्रण
दिया था।
उन्होंने कहा कि यह कोई नहीं कह सकता कि उनके अध्ययन एवं विज्ञान के
प्रति रूचि ने उन्हें ईश्वर के प्रेम से अलग किया। हम संत पापा बेनेडिक्ट के लिए ईश्वर
को धन्यवाद दें जिन्होंने इस महान संत पापा को कलीसिया के लिए एक वरदान स्वरूप प्रदान
किया।
संत पापा ने विज्ञान अकादमी के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा, ″वैज्ञानिक
विशेषकर ख्रीस्तीय वैज्ञानिक मानव के भविष्य और पृथ्वी की खोज करने के लिए बुलाये जाते
हैं। वे एक स्वतंत्र किन्तु उत्तरदायी व्यक्ति की तरह प्रकृति एवं मानव के लिए उत्पन्न
जोखिम से उन्हें बचाने, उनकी रक्षा करने तथा विकास में उन्हें मदद दें। प्रकृति के निर्माता
ईश्वर पर आशा एवं भरोसा रखते हुए आप मानवीय क्षमता का प्रयोग कर नवीन शक्ति एवं गहन शांति
की खोज करें।