वाटिकन सिटी, मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल
प्रियत्रो परोलिन ने रोम में इस सप्ताह चल रहे ‘नोड्र डम ग्लोबल गेटवे विश्वविद्यालय’
में ‘मानव प्रतिष्ठा एवं मानव विकास’ पर आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि
मानव प्राणी को समझना तथा सामाजिक प्राणी के रूप में उसे स्वीकार करना ही आर्थिक एवं
मानव विकास का आदर्श है।
उन्होंने कहा, ″आज अपने विचार के तरीके अनुसार हम आर्थिक
व्यवस्था को विज्ञान समझते हैं जिसका सिद्धांत है घटनाओं का अवलोकन करना तथा मानवीय क्रियाओं
में संसाधनों के अधिकतम दोहन हेतु माध्यमों की खोज करना।
कार्डिनल ने कहा कि
इसके विपरीत कलीसिया की सामाजिक शिक्षा निरंतर जोर देती है कि व्यक्ति तथा आर्थिक व्यवस्था
का विकृत दृष्टिकोण, व्यक्ति के बाह्य एवं आंतरिक विकास में सबसे बड़ा बाधा है जो मानव
प्रतिष्ठा को भी चुनौती दे रहा है।
उन्होंने संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक प्रबोधन
पर ग़ौर करते हुए कहा कि यह किसी अर्थव्यवस्था की निंदा करना या किसी अर्थव्यवस्था को
प्रोत्साहन देना नहीं है किन्तु इससे बढ़कर व्यक्ति की ओर हमारा ध्यान खींचता है जिसकी
मौलिक आवश्यकता को नजरंदाज कर, मात्र बाजार को ध्यान में रखकर उत्पादन एवं उपभोक्ताओं
को घटाया नहीं जा सकता। यह बात हमें पुनः विचार करने एवं आर्थिक सिद्धांत में बदलाव लाने
के लिए प्रेरित करता है जिससे कि यह मानव विकास एवं मानव प्रतिष्ठा के बीच संबंध की कुंजी
सिद्ध हो।