2014-10-27 14:45:06

लोक आन्दोलन पर सेमिनार


वाटिकन सिटी, सोमवार 27 अक्तूबर, 2014 (सेदोक,वीआर) न्याय और शांति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर तुर्कसन ने शुक्रवार 23 अक्तूबर को पत्रकार सम्मेलन में 27 से 29 अक्तूबर तक रोम में ' लोक आन्दोलन ' विषय पर होने वाले सेमिनार के बारे में जानकारी दी।
कार्डिनल तुर्कसन ने कहा कि संत पापा लोगों को सदा इस बात की याद दिलाते हैं कि वे आम लोगों तक पहुँचें और उन लोगों को गले लगायें जो दरकिनार हैं, जो हाशिये पर हैं, तिरस्कृत हैं तथा ऐसे लोग जो परित्यक्त होने के कगार में हैं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति, परिवार के लोग तथा कई स्थानों में पूरा समुदाय कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहा है और दुःख झेल रहा है। इसमें ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ गरीब या विकासशील या दक्षिणपंथी पर कई अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं। यह भी एक दुःखद सत्य है कि प्रायः प्रत्येक देश में लोग "बहिष्कार की संस्कृति" से की पीड़ा झेल रहे हैं। परित्यक्तों और बहिष्कृतों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है और इसमें युवा और वृद्ध ज़्यादा है।
कार्डिनल तुर्कसन ने कहा कि संत पापा का पत्र एवान्जेली गौदियुम कलीसिया और समग्र विश्व को इस बात के लिये आमंत्रित करता है कि वह न्याय की गुहार को सुने और अपने पूरे सामर्थ्य से उसका समाधान खोजे।
संत पापा फ्राँसिस ने इस बात को स्पष्ट किया है कि हम उन लोगों को शामिल करना सीखें जो बहिष्कृत हैं। इसके लिये ज़रूरी है ऐसे लोगों को तक जाना ताकि वे भी समुदाय, अर्थव्यस्था तथा समाज के पूर्ण सदस्य बन सकें।
संत पापा फ्राँसिस इस बात पर भी बल दिया है कि हम न केवल उनके दुःखों को सुनें और समझें हमें चाहिये कि हम उनकी आकांक्षाओं, आशाओं और प्रस्तावों पर भी ध्यान दें। उन्हें अपना भविष्य खुद संवारने का मौका दें। ऐसा न हो कि वे मात्र निष्क्रिय आदाता या प्राप्त करनेवाले बन कर रह जायें।
न्याय और शांति के लिये बनी समिति को अध्यक्ष कार्डिनल तुर्कसन ने कहा कि 27 से 29 अक्तूबर होनेवाली सभा में पूरे विश्व से एक सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और आवास, रोज़गार, ज़मीन, हिंसा और पर्यावरण विषय पर विचार-विमर्श करेंगे।
कार्डिनल ने आशा व्यक्त की है वर्ल्ड मीटिंग ऑफ़ पोपुलर मूवमेंट्स (लोक आन्दोलनों की विश्व सभा) के तहत् विचारों के आदान-प्रदान से विभिन्न आन्दोलनों को बीच परस्पर तालमेल और सहयोग में वृद्धि होगी और उन्हें कलीसिया की सहायता प्राप्त हो सकेगी।












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