2014-10-24 12:01:18

वाटिकन सिटीः कलीसिया में एकता स्थापित करना प्रत्येक ख्रीस्तीय का दायित्व, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 अक्टूबर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि कलीसिया में एकता स्थापित करना प्रत्येक ख्रीस्तीय का दायित्व है।

शुक्रवार, 24 अक्टूबर को, वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने फिलिप्पियों को लिखे सन्त पौल के पत्र के उस पाठ पर चिन्तन किया जिसमें सन्त पौल शिष्यों से कहते हैं: "मैं, बन्दी, पौलुस आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप कलीसिया में एकता का निर्माण करें।"

सन्त पापा ने कहा, "जब किसी मन्दिर का निर्माण करना होता है तब उसके लिये उपयुक्त जगह खोजी जाती है। बाईबिल धर्मग्रन्थ के अनुसार सर्वप्रथम, नींव के पत्थर, कोने के पत्थर को खोजना आवश्यक होता है। कलीसिया की एकता का पत्थर अथवा कलीसिया के कोने का पत्थर हैं येसु ख्रीस्त तथा कलीसिया की एकता का कोने का पत्थर है अन्तिम भोजन कक्ष में की गई प्रभु येसु की प्रार्थना, "पिता, ताकि हम सब एक हो जायें"।

सन्त पापा ने कहा, "येसु ख्रीस्त रूपी नींव के बिना कलीसिया में एकता सम्भव नहीं, वे ही एकता की नींव एवं हमारी सुरक्षा हैं। यही पत्थर कलीसिया की एकता एवं उसकी शक्ति है जिसके निर्माण का प्रत्येक ख्रीस्तीय को सतत् प्रयास करना चाहिये।"

सन्त पापा ने कहा कि परस्पर प्रेम द्वारा एकता का निर्माण किया जा सकता है तथा एकता को बरकरार रखा जा सकता है जिसके लिये विनम्रता, मृदुलता तथा विशाल हृदय की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि विनम्रता, मृदुलता एवं उदार हृदय के गुणों का कोई महत्व नहीं है क्योंकि इनसे व्यक्ति दुर्बल माना जाता है किन्तु इस मन्दिर अर्थात् कलीसिया में हम जितने विनम्र बनते हैं उतने ही हम सशक्त पत्थर बनकर उभरते हैं।








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