वाटिकन सिटी, सोमवार 20 अक्तूबर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 20 अक्तूबर
सोमवार सुबह को कार्डिनलों की एक सभा बुलायी और धन्यघोषणा के लिये प्रस्तावित उम्मीदवारों
योग्यता पर विचार-विमर्श किया। संत पापा ने कार्डिनलों की सभा का विस्तार करते हुए
मध्यपूर्वी राष्ट्रों में ईसाइयों की स्थिति पर भी अपने विचार व्यक्त किये। संत पापा
ने कहा कि मध्यपूर्व राष्ट्रों के लिये अनवरत प्रार्थना करने की ज़रूरत है और लोगों को
इस बात के लिये प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये कि वे शांति के प्रयास तेज करें और विशेष
करके ख्रीस्तीयों की सुरक्षा के लिये प्रार्थना करें। संत पापा ने कहा, " ख्रीस्तीय
विहीन मध्यपूर्वी राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती है। सीरिया और इराक जैसे देशों को
ख्रीस्तीयों ने येसु के प्रेरितों के समय से ही अपना निवास स्थान बनाया है पर आज वे अपने
अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रहे हैं। हम ऐसा कदापि नहीं सोच सकते हैं कि इन देशों में
कोई भी ख्रीस्तीय न हो। दोनों देशों के ईसाइयों ने दो हज़ार वर्षों तक येसु के नाम की
घोषणा की है।" संत पापा ने कहा कि ईराक और सीरिया में ईसाइयों की जो स्थिति है वह
अत्यंत चिंताजनक है। हम एक ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जो भयावह है जिसकी हम कल्पना
नहीं कर सकते हैं। हमारे ही कई भाई-बहन यहाँ सताये जा रहे हैं और अति बर्बरतापूर्ण तरीके
से उन्हें घर छोड़ने को मजबूर किया गया है। संत पापा ने कहा कि ऐसा जान पड़ता है
कि मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है। कई लोगों में ऐसी परिस्थिति में भी तटस्थता की भावना
दिखाई पड़ती है। उन्होंने कहा कि इधर हम प्रार्थना करना जारी ऱखें और दूसरी ओर अन्तरराष्ट्रीय
समुदाय ठोस कदम उठाये ताकि पूर्वी राष्ट्रों की स्थिति बदले।संत पापा ने कहा कि उनका
दृढ़ विश्वास है कि ईश्वर हमारी मदद करेंगे।