वाटिकन सिटीः ख्रीस्तीय जीवन दिखावा नहीं, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, बुधवार, 15 अक्टूबर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों से आग्रह किया है कि वे अपने जीवन को सत्य पर आधारित रखें।
वाटिकन
स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर
प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय जीवन में सत्य की आवश्यकता पर ध्यान
आकर्षित कराते हुए कहा कि विश्वास दिखावा नहीं है बल्कि इसे सक्रिय उदारता में प्रदर्शित
होना चाहिये।
सन्त लूकस रचित सुसमाचार के उस पाठ पर सन्त पापा अपना चिन्तन व्यक्त
कर रहे थे जिसमें भोजन के अवसर पर प्रभु येसु द्वारा रीति रिवाज़ों के पालन न किये जाने
पर फरीसी अवाक रह जाते तथा उनकी आलोचना करते हैं।
सन्त पापा ने कहा, "प्रभु
येसु दिखावे की उस आध्यात्मिकता का बहिष्कार करते हैं जो बाहर से सुन्दर, कान्तिवर्द्धक
एवं शुभ लगती है किन्तु जिसका सच अन्दर से और कुछ है। येसु उन लोगों की निन्दा करते हैं
जो बाहर से मृदुल स्वाभाव और अच्छे हाव-भाव दिखाते हैं किन्तु जिनकी आदतें अन्दर से निन्दनीय
होती हैं। वे आदतें जिनका सम्पादन गुप्त रूप से किया जाता है।"
सन्त पापा ने कहा,
"फरीसी रास्तों पर चलते प्रार्थना किया करते थे, यदि वे उपवास करते तो अपने आप को शारीरिक
रूप से कमज़ोर दर्शाते थे किन्तु क्या प्रभु ऐसे हैं?"
उन्होंने कहा, "सन्त मत्ती
रचित सुसमाचार में येसु इन फरीसियों को सफेद पुती कब्रें कहते हैं। यहाँ वे उन्हें आमंत्रित
करते हैं कि वे दिखावे के बजाय भिक्षादान करें, लोगों के प्रति उदार बनें जो बाईबिल
धर्मग्रन्थ के अनुसार न्याय का आधार है।"
सन्त पापा ने कहा, "कानून और नियम अपने
आप में पूर्ण नहीं हैं क्योंकि केवल कानून एवं नियमों को आधार पर मुक्ति नहीं मिल सकती।"