वाटिकन सिटी, सोमवर, 6 अक्तूबर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 5 अक्तूबर
को संत पेत्रुस महागिरजाघर में विश्व धर्माध्यक्षीय असाधारण महासभा के उद्घाटन पर पावन
ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
इस अवसर पर, उन्होंने प्रवचन में नबी इसायस के ग्रंथ
एवं सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए प्रभु के दाखबारी की छवि प्रस्तुत की।
उन्होंने कहा, ″प्रभु की दाखबारी, उनका सपना एवं उनकी अपनी योजना है जिसकी वे
बड़े प्यार से देखभाल करते हैं।″ उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक किसान अपनी दाखबारी की
निगरानी करता क्योंकि दाखलता को सेवा की अधिक आवश्यकता पड़ती है उसी प्रकार ईश्वर भी
करते हैं। अपनी प्रजा के प्रति उनकी विशेष योजना है, वे चाहते हैं कि जिसे उन्होंने रोपा
तथा बड़े धीरज एवं प्यार से सेवा की है वह पवित्र प्रजा बने, एक ऐसी प्रजा जो न्याय का
फल बहुतायत में उत्पन्न करे।
संत पापा ने कहा, किन्तु पुराने व्यवस्थान एवं नये
व्यवस्थान दोनों से लिए गये आज के पाठों में हम पाते हैं कि ईश्वर की योजना को नाकारा
गया। नबी इसायस कहते हैं, ″उस दाखलता से, जिसके लिए उन्होंने जमीन खुदवायी, इसमें से
पत्थर निकाल दिये और इस में बढ़िया दाखलता लगवा दी। उसने इसके बीच में मीनार बनवायी और
इस में एक कोल्हू भी खुदवाया। उसे अच्छी फ़सल की आशा थी, किन्तु उसे खट्टे अंगूर ही मिले।″(इसा.5꞉2-4)
″प्रभु को न्याय की आशा थी और भ्रष्टाचार दिखाई दिया। उसे धार्मिकता की आशा थी और अधर्म
के कारण हाहाकार सुनाई पड़ा।″ (पद.7) नये व्यवस्थान में स्थिति और भी बदतर हो गयी
क्योंकि कारिंदों ने ही ईश्वर की योजना को नष्ट कर दिया। वे अपनी रुचि का ख्याल करते
रहे किन्तु खुद को सौंपी गयी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे। इस दृष्टांत में येसु महायाजकों
एवं जनता के नेताओं को सम्बोधित कर कहना चाहते थे कि जिन्हें ईश्वर ने अपनी योजना विशेष
रूप से सौंप दी कि वे उसकी देखभाल करें, उसकी रक्षा करें तथा उसे जंगली जानवरों के आक्रमण
से बचायें किन्तु उन्होंने स्वयं उसे नष्ट किया।
संत पापा ने कहा, ″धर्मगुरूओं
का कर्तव्य है कि वे स्वतंत्रता, सक्रियता एवं कठिन परिश्रम द्वारा दाखबारी की देखभाल
करें। किन्तु येसु कहते हैं कि उन्होंने खुद अपने को दाखबारी का मालिक मान लिया। लालच
और घमंड से भर कर वे अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने लगे।
लालच करने का प्रलोभन
मानव में हमेशा से विद्यामान है। नबी एजेकिएल द्वारा चरवाहों के लिए की गयी भविष्यवाणी
में हम पाते हैं जिसपर संत अगुस्टीन ने अपने एक प्रवचन में चिंतन किया था। उन्होंने कहा
था,″ धन एवं रूपये का लोभ तथा उस लोभ को शांत करने वाले नेता, दूसरों के कंधे पर असहाय
भार डाल देते हैं जिसे वे खुद अपनी उँगली से भी नहीं उठाते।
संत पापा ने कहा,
″धर्माध्यक्षों की महासभा में हम सभी प्रभु की दाखबारी में काम करने के लिए बुलाये गये
हैं। महासभा का अर्थ अच्छे एवं स्पष्ट विचारों पर बहस करना नहीं है और न ही यह देखना
कि कौन अधिक बुद्धिमान है। हमें प्रभु की दाखबारी की अच्छी देखभाल करना है, उनके सपने
एवं अपनी प्रजा के प्रति उनकी प्रेमी योजना को पहचानने में मदद करना है। इस दृष्टिकोण
से प्रभु हमें परिवार की देखभाल करने का निमंत्रण दे रहे हैं जो आरम्भ से ही मानव जाति
के लिए उनकी योजना का अभिन्न अंग है।
मानवजाति में निहित लालच के कारण दाखबारी
के मालिक बनने के प्रलोभन में अब भी कई लोग पड़ जाते हैं किन्तु ईश्वर की योजना पाखंडी
नौकरों के विचारों से कभी मेल नहीं खाती। संत पापा ने सचेत करते हुए कहा कि हम भी
ईश्वर की योजना का तिरस्कार करने वालों में शामिल हो सकते हैं यदि हम पवित्र आत्मा के
प्रति उदार न हों। पवित्र आत्मा वह प्रज्ञा प्रदान करता है जो ज्ञान मात्र से बढ़कर है
तथा जो हमें उदार, सच्चा, स्वतंत्र एवं सरल होकर काम करने की शक्ति प्रदान करता है।
संत
पापा ने सभी धर्माध्यक्षों एवं सिनड में भाग लेने वाले सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने
उत्तरदायित्वों को अच्छी तरह निभायें। हमारा मन-दिल येसु ख्रीस्त से जुड़ा हो जैसा कि
संत पौलुस कहा करते थे, ″ईश्वर की शान्ति, जो हमारी समझ से परे हैं, आपके हृदयों और विचारों
को ईसा मसीह में सुरक्षित रखेगी। (फिली. 4꞉7) जिससे, पवित्र प्रजा जो ईश राज्य का उचित
फल उत्पन्न करने हेतु चुनी गयी है उन्हें ईश्वर की योजना को पूरा करने में, हमारे विचार
एवं योजनाएं द्वारा सहयोग मिल सकें।