वाटिकन सिटीः अन्धकारपूर्ण क्षण में प्रार्थना अनिवार्य, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, बुधवार, 01 अक्टूबर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व के ख्रीस्तीय
धर्मानुयायियों से कहा है कि वे कठिनाइयों के आगे धैर्य नहीं खोयें बल्कि प्रार्थना द्वारा
अन्धकारपूर्ण क्षणों के लिये स्वतः को तैयार करें।
वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक
आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा
फ्राँसिस ने प्राचीन व्यवस्थान के यहूब का उदाहरण देकर कहा कि कष्टों से हालांकि यहूब
टूट गया था और अपने जन्म के दिन को अभिशाप समझने लगा था किन्तु ईश्वर पर उसने भरोसा करना
नहीं छोड़ा।
उन्होंने कहा कि ईश्वर ने यहूब की परीक्षा ली, उसकी सारी धन सम्पत्ति
और परिवार को नष्ट कर दिया, इसपर यहूब ने अपने आप को कोसा किन्तु ईश्वर की कभी निन्दा
नहीं की। वह विश्वासपूर्वक प्रार्थना करता रहा जिसके फलस्वरूप प्रभु ने उसे पुरस्कृत
किया।
ईराक और सिरिया के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "वर्तमान युग में भी
अनेक लोग यहूब की तरह कष्ट भोग रहे हैं। कई भले लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि उनपर विपत्ति
क्योंकर आई? इन्हीं लोगों में हमारे ख्रीस्तीय भाई बहन भी हैं जिन्हें उनके घरों से निकाला
जा रहा है, उनके देश से निकाला जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में, सन्त पापा ने कहा, "यह
प्रश्न करना स्वाभाविक है कि हमने तो सदैव ईश्वर पर भरोसा रखा, ईश नियमों का पालन किया
फिर यह विपत्ति हम पर क्यों आ पड़ी? फिर उन लोगों के बारे में भी सोचा जाये जो वृद्ध
हो चले हैं, जो निर्धन हैं तथा अपने आप को समाज की मुख्यधारा से बाहर पाते हैं।"
सन्त
पापा ने कहा कि इन परिस्थितियों में प्रार्थना ही आशा जगाती है और प्रार्थना से व्यक्ति
कठिनाइयों को सहन करने तथा उन्हें पार करने की शक्ति प्राप्त करता है। अस्तु, उन्होंने
कहा, "निरन्तर प्रार्थना करते रहें ताकि अन्धकार पूर्ण क्षणों में भी सम्बल प्राप्त कर
सकें।"
सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया उन सबके लिये प्रार्थना करती है जिनका
जीवन अन्धकारपूर्ण है और जिन्होंने आशा खो दी है। उन्होंने कहा, "कलीसिया विश्वासियों
के कष्टों को अपने ऊपर लेती तथा अनवरत प्रार्थना करती रहती है।"