नयी दिल्ली, सोमवार 29 सितंबर, 2014 (उकान) ईसाई और मुसलमान नेता तथा कुछ बुद्धिजीवी
नागरिकों ने केन्द्रीय सरकार से माँग की है कि वह अल्पसंख्यकों के विरुद्ध होनेवाली हिंसा
और सुनियोजित ढंग से होनेवाले घृणा अभियान के विरुद्ध कारवाई करे।
26 सितंबर
को अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 200 लोगों ने एक रैली निकाली और अल्पसंख्यकों की बदतर होती
स्थिति सरकार का ध्यान खींचा।
अल्पसंख्यकों ने रैली निकालने का निर्णय उस समय
किया जब उत्तर प्रदेश के असरोई गाँव में करीब 60 ख्रीस्तीयों को बलपूर्वक हिन्दु धर्म
मानने को मजबूर किया गया।
रैली को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक नेताओं कहा कि
भारतीय जनता पार्टी के शासन के 100 दिनों में देश के विभिन्न भागों में 600 ऐसी घटनायें
हुई हैं जिसमें अल्पसंख्यकों को हिंसा का शिकार बनाया गया है।
अल्पसंख्यकों के
लिये बनी दक्षिण एशियाई कौंसिल के महासचिव नवेइ हमिद ने कहा कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध
हो रही हिंसा संस्थागत अराजकता का हिस्सा है जिसका सामना हमें भारतीयों के समान ही करना
होगा।
उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यकों पर हो रही प्रताड़ना
पर में चुप्पी साधे हुए हैं।
सेहबा फारुकी ने कहा कि 100 दिनों में ईसाई और इस्लाम
के विरुद्ध होने वाली घटनाओं में वृद्धि हुई है।
कॉग्रस पार्टी के एक वरिष्ठ
नेता मनिष तिवारी कहा कि वर्त्तमान सरकार और साम्प्रदायिक ताकतें एक साथ मिलकर अल्पसंख्यकों
को खिलाफ़ हिंसा में संलिप्त हैं। नैशनल इंटेग्रेशन कौसिल के सदस्य जोन दयाल ने कहा
कि साम्प्रदायिक ताकतों के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहेंगे ताकि इस प्रकार की
घटनायें न हों।