वाटिकन सिटी, शुक्रवार 26 सितंबर, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार
25 सितंबर को वाटिकन स्थित सान्ता मार्था अतिथि निवास के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय
बलिदान अर्पित करते हुए मिथ्याभिमान को साबुन के बुलबुले कहा।
उन्होंने कहा कि
एक ख्रीस्तीय दिखावे के प्रलोभन से बचना चाहिये। दिखावा सिर्फ़ अन्यों के लिये नहीं पर
ख्रीस्तीयों अर्थात विश्वासियों के लिये भी एक बड़ा प्रलोभन है। संत पापा ने यूखरिस्तीय
बलिदान के लिये प्रस्तावित दैनिक पाठ के उपदेशक ग्रंथ के अध्याय एक में वर्णित मिथ्या
और संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ के अध्याय 9 में वर्णित राजा हेरोद के अहंकारपूर्ण मनोभाव
के आधार पर अपना चिन्तन प्रस्तुत किये।
उन्होंने कहा कि येसु ऐसे लोगों की भर्तष्णा
करते थे जो घमंडी थे। उन्होंने कई बार कहा था कि धर्मगुरुओं को चाहिये कि वे कीमती वस्त्र
पहनकर राजकुमारों की तरह चौराहों में न चलें न ही प्रार्थना का दिखावा करें।
संत
पापा ने कहा कि जब तुम ग़रीबों की मदद करते हो तो उसका ढिंढोरा न पीटो। बस यही काफ़ी
है कि स्वर्गीय पिता ने इसे देख लिया है।
संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय को
चाहिये कि वह अपना मकान चट्टान पर बनाये, सत्य पर बनाये जो बना रहता है। वह तब गर्व करे
जब वह ईश्वर को ढूँढ़ता है, प्रार्थना करता है, दया के कार्य करता ग़रीबों की मदद करता
और बीमारों को देखने जाता हो।
संत पापा ने कहा कि अंहकार शांति नहीं देता पर शांति
को छीन लेता है। अहंकार एक आध्यात्मिक बीमारी है। अहंकार प्याज के समान है इसके छिलके
को हम निकालते जाते हैं पर उसका गंध हमारी उँगलियों में रह जाता है। अहंकार भी बार-बार
हमारे पास वापस आता है।