विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों से संत पापा ने की मुलाकात
तिराना, सोमवार, 22 सितम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ अल्बानिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा
के दौरान 21 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने तिराना स्थित ‘अवर लेडी ऑफ गुड कौंसिल काथलिक
विश्वविद्यालय’ में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
उन्होंने उन्हें
सम्बोधित करते हुए खुशी तथा कृतज्ञता की भावना व्यक्त की और कहा कि अल्बानिया में रहने
वाले सभी धर्म के लोगों का, आपस में एक साथ एकत्र होकर पूरे समाज के हित, भाईचारा और
सहयोग की खोज करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
संत पापा ने इतिहास की याद करते हुए
कहा कि दुर्भाग्यवश व्यक्तिगत एवं समुदायिक जीवन से ईश्वर के बहिष्कार हेतु दबाव ने,
अल्बानिया को हिंसा एवं त्रासदी का शिकार बनाया। ईश्वर के बहिष्कार के कारण मानव प्रतिष्ठा
पर भी कड़ा आघात हुआ और हम जानते हैं कि अंतःकरण की स्वतंत्रता एवं धार्मिक स्वतंत्रता
से वंचित किये जाने पर व्यक्ति के जीवन में कितना बड़ा ज़ख्म हो जाता है।
संत
पापा ने कहा कि सन् 1990 ई. के बाद देश में जब परिवर्तन हुआ तब धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त
हुई जिसके कारण सच्चे धार्मिक स्वतंत्रता के अभ्यास में, इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
इस सकारात्मक विचारधारा ने सभी समुदायों को अपनी परम्परा की पुनःस्थापना में मदद दी।
यही कारण है कि देश का पुनर्गठन सम्भव हुआ तथा इसके आर्थिक पुनर्निर्माण को बढ़ावा मिला
है।
धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संत पापा जॉन पौल द्वितीय
ने सन् 1993 ई. में अल्बानिया की प्रेरितिक यात्रा में कहा था कि धार्मिक स्वतंत्रता
न केवल उन लोगों के लिए बहुमूल्य वरदान है जो प्रभु पर विश्वास करते किन्तु संसार के
हरेक मानव प्राणी के लिए भी, यह एक विशेष वरदान है क्योंकि यह हर प्रकार की मौलिक आजादी
की अभिव्यक्ति का आधार है। विश्वास हमें बतलाती है कि हमारा सृष्टिकर्ता एक है अतः हम
सभी एक-दूसरे के भाई-बहन हैं।
संत पापा ने कहा, ″सच्चा धर्म शांति का स्रोत होता
है न कि हिंसा का। हिंसा को अंजाम देने के लिए ईश्वर के पावन नाम का प्रयोग कोई नहीं
कर सकता। ईश्वर का नाम लेकर हत्याएँ करना महापाप है तथा ईश्वर के नाम पर एक-दूसरे के
साथ भेदभाव रखना अमानवीय है।″
संत पापा ने उपस्थित सभी धर्म के प्रतिनिधियों
को अल्बानिया में विभिन्न समुदायों के बीच अच्छे संबंध की परम्परा को बनाये रखने एवं
उसपर आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि राष्ट्र के हित वे
एकजुट होकर कार्य करते रहें।