2014-09-22 12:27:38

तिरानाः सन्त पापा की अलबानिया यात्रा अन्तरधार्मिक वार्ता पर रही केन्द्रित


तिराना, रविवार, 21 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): अलबानिया यूरोपीय समुदाय का सदस्य है और 23 वर्षीय प्रजातंत्रवाद तथा विभिन्न धर्मों एवं जातियों के लोगों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व उसका दावा है।

सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा का उद्देश्य अलबानिया के शहीदों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करना तथा साथ ही विभिन्न धर्मों के बीच मैत्री एवं साहचर्य को बढ़ावा देना था। अगस्त माह में कोरिया से रोम वापसी यात्रा के समय पत्रकारों से ख़ुद सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा थाः "मैं अलबानिया जा रहा हूँ। सर्वप्रथम इसलिये कि वे एक सरकार के गठन में कामयाब हुए हैं, एक अन्तर-धार्मिक परिषद की मदद से वे मुसलमान, ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय एवं काथलिक धर्मानुयायियों के बीच राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में सफल हुए हैं। अलबानिया में सन्त पापा की उपस्थिति विश्व के समस्त लोगों से कहना चाहती है कि एक साथ मिलकर काम करना सम्भव है।"

वाटिकन रेडियो के अलबानियाई विभाग के प्रसारक फादर मारियोन पालोका ने हमें बताया कि अलबानियाई सरकार के मंत्री राष्ट्र में विद्यमान विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहाः "इनमें मुसलमान एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ नास्तिकतावादी विचार रखनेवालों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट दर्शाता है कि अलबानिया में धर्म एक विभाजक घटक नहीं है तथा सन्त पापा फ्राँसिस इस बात पर बल दे रहे हैं कि विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ मिलकर जीवन यापन कर सकते हैं।"

तिराना में रविवार को अन्य धर्मों के नेताओं के साथ मुलाकात में सन्त पापा फ्राँसिस ने इस्लामी चरमपंथ की कड़ी आलोचना की जो धर्म का दुरुपयोग कर हिंसा का औचित्य ठहराते हैं। उन्होंने कहाः "ईश्वर के नाम पर हत्या करना महापाप है, यह धर्मविरोधी है और ईश्वर के नाम पर भेदभाव करना अमानवीय।"








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