2014-09-19 15:45:04

इस वर्ष नियुक्त धर्माध्यक्षों से संत पापा की मुलाकात


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 19 सितम्बर 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ रोम में इस वर्ष नियुक्त धर्माध्यक्षों के लिए आयोजित लघु प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागी धर्माध्यक्षों से संत पापा फ्राँसिस ने, बृहस्पतिवार 18 सितम्बर को मुलाकात की।

परमधर्मपीठीय रेजिना अपोस्तोलोरूम यूनिवर्सिटी में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे धर्माध्यक्षों से संत पापा ने धर्माध्यक्षों की उपस्थिति एवं विश्वासियों के विकास के बीच अटूट संबंध की आवश्यकता के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ″ख्रीस्त की कलीसिया में सभी प्रामाणिक सुधार ख्रीस्त की उपस्थिति से ही शुरू होते हैं। ख्रीस्त कलीसिया से कभी दूर नहीं होते अतः ख्रीस्त के नाम पर कलीसिया का मार्गदर्शन करने वाले धर्माध्यक्ष भी सदा अपने लोगों के बीच उपस्थित रहें।″

संत पापा ने कहा कि ट्रेन्ट महासभा का तर्कसंगत आदेश था कि जब मेषपाल या धर्माध्यक्ष गायब रहता है तथआ विशअवासी उस तक पहुँच नहीं पाते हैं तब विश्वासियों की प्रेरिताई तथा आत्माओं की मुक्ति ख़तरे में पड़ जाती है।

ख्रीस्त की कलीसिया का हर यथार्थ सुधार उपस्थिति से शुरू होती है, ख्रीस्त की उपस्थिति के साथ जो कभी ओझल नहीं होते किन्तु साथ ही मेषपाल अथवा धर्माध्यक्ष की उपस्थिति के साथ भी जिसे अनवरत अपनी रेवड़ की रखवाली के लिए उपस्थित रहना चाहिए।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को सलाह देते हुए कहा कि विश्वासियों की आत्मिक भलाई हेतु एक चरवाहे में विनम्र सेवा भावना की अत्यन्त आवश्यकता है। लोकधर्मियों से स्नेह रखें जिन्हें ईश्वर ने आपके हाथों सौंपा है ऐसी स्थिति में भी जब उन्होंने आत्मा मारू पाप किया हो। धर्माध्यक्षों को अपने विश्वासियों तथा उनके सिपुर्द किये गये लोगों के लिए ईश्वर से आभारी होना चाहिए। वे सभी को यही बतलायें कि कलीसिया देना जानती है क्योंकि कृपा सभी के लिए समान है अतः बिना किसी भेदभाव के सभी का स्वागत करें।

ज्ञात हो कि नये धर्माध्यक्षों का प्रशिक्षण कार्यक्रम धर्माध्यक्षों की धर्मसभा तथा लोकधर्मियों के लिए सुसमाचार प्रचार संबंधी परमधर्मपीठीय धर्मसंध द्वारा संचालित है।







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