2014-09-17 08:22:02

प्रेरक मोतीः सन्त रॉबर्ट बेल्लारमीन (1542-1621)


वाटिकन सिटी, 17 सितम्बर सन् 2014:

रॉबर्ट बेल्लामीन का जन्म इटली के मोन्टेपुलच्यानो में, 04 अक्टूबर सन् 1542 ई. को, हुआ था। उनकी माता, सिन्थिया चेरवीनी, सन्त पापा मारचेलुस द्वितीय की बहन थीं जो, अपना अधिकाधिक समय उदार कार्यों, भिक्षादान, प्रार्थना, मनन चिन्तन, उपवास, आत्मदमन एवं तपस्या में व्यतीत किया करती थीं।


सन् 1560 ई. में रॉबर्ट बेल्लारमीनो ने येसु धर्मसमाज में प्रवेश किया तथा सन् 1570 ई. में पुरोहितअभिषिक्त किये गये। पुरोहिताभिषेक के बाद वे लोवेन के गुरुकुल में प्राध्यपक नियुक्त कर दिये गये तथा छः वर्षों तक इसी पद पर बने रहे। यहीं रॉबर्ट बेल्लारमीन लैटिन भाषा में दिये अपने प्रवचनों के लिये विख्यात हो गये थे। सन् 1576 ई. में उन्हें रोम के ईशशास्त्र एवं धर्मतत्वविज्ञान महाविद्यालयीन पीठ का अध्यक्ष तथा सन् 1592 ई. में प्राचार्य नियुक्त किया गया था। सन् 1594 ई. में रॉबर्ट बेल्लारमीन इटली के नेपल्स में येसुधर्मसमाज के प्रान्ताध्यक्ष नियुक्त किये गये थे तथा सन् 1598 में कार्डिनल पद पर प्रतिष्ठित किये गये थे।


कार्डिनल पद पर रहते हुए, कलीसिया एवं ईश्वर के समर्पित सेवक, रॉबर्ट बेल्लारमीन ने वेनिस के पुरोहितीय विरोधी तत्वों तथा इंग्लैण्ड के जेम्स प्रथम के राजनैतिक मतों के विरुद्ध परमधर्मपीठ का बचाव किया। उन्होंने तत्कालीन अपधर्मियों से कलीसिया की रक्षा हेतु एक सुविस्तृत पक्षसमर्थक कृति की रचना की। कलीसिया एवं राज्य के बीच सम्बन्धों पर उन्होंने उन सिद्धान्तों के आधार पर अपना मत रखा जिन्हें आज मूलभूत रूप से प्रजातांत्रिक कहा जाता है। उनका कहना था कि प्रभुत्व, सत्ता एवं प्राधिकार ईश्वर से उत्पन्न होता है, हालांकि, वह लोगों को प्रदान किया जाता है जो उसे योग्य एवं उपयुक्त शासकों के सिपुर्द कर देते हैं।


रॉबर्ट बेल्लारमीन सन्त अलोईस गोनज़ागा के आध्यात्मिक गुरु थे तथा एलिज़ाबेथ को मरियम की भेंट के प्रति समर्पित "विज़ीटेशन" धर्मसंघ को अनुमोदन दिलवाने में उन्होंने सन्त फ्राँसिस द सेल्स की मदद की थी। अपनी दूरदृष्टि और समझदारी के परिणामस्वरूप उन्होंने गलीलियो के प्रकरण पर कठोर कार्रवाई का विरोध किया था।

रॉबर्ट बेल्लारमीनो ने लैटिन तथा इताली भाषा में कई कविताओं एवं भजनों की रचना की है तथा ईशशास्त्र पर उनकी कई कृतियों प्रकाशित हुई हैं। सन्त थॉमस अक्वाईनुस के धर्मतत्वविज्ञान सम्बन्धी "सुम्मा थेओलोजिका" को विश्वविद्यालय में पढ़ानेवाले वे प्रथम येसु धर्मसमाजी प्राध्यपक थे। 17 सितम्बर, सन् 1621 ई. को, कार्डिनल रॉबर्ट बेल्लारमीन का निधन हो गया था। सन् 1930 ई. में उन्हें सन्त घोषित कर कलीसिया के आचार्य उपाधि से सम्मानित किया गया था। सन्त रॉबर्ट बेल्लारमीन का पर्व 17 सितम्बर को मनाया जाता है।



चिन्तनः सन्त रॉबर्ट बेल्लारमीन के जीवन से प्रेरणा पाकर सभी ख्रीस्तीय धर्मानुयायी विश्वास के तत्वों को अक्षुण रखें तथा अपने दैनिक जीवन में सुसमाचारी मूल्यों का वरण कर जन-जन में मैत्री और प्रेम का सन्देश फैलायें।








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