नई दिल्लीः अल्पसंख्यक समुदायों पर नरीमन के व्याख्यान की सराहना
नई दिल्ली, मंगलवार, 16 सितम्बर सन् 2014 (ऊका समाचार): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन के न्याय, शांति एवं विकास कार्यालय ने राष्ट्र के लब्धप्रतिष्ठ विधिवेत्ता फली
एस. नरीमन के उस व्याख्यान की सराहना की है जिसमें विधिवेत्ता ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों
की रक्षा न करने के लिये सरकार की कड़ी निन्दा की है।
धर्माध्यक्षीय कार्यालय
के उपाध्यक्ष फादर चार्ल्स हृदयम ने एक प्रेस वकतव्य जारी कर कहाः "हम भारत में अल्पसंख्यकों
के सुरक्षित भविष्य के लिये आशा की किरण देख रहे हैं।"
भारत के विख्यात न्यायविद्
फली एस. नरीमन ने अल्पसंख्यकों के लिये गठित राष्ट्रीय आयोग की वार्षिक सभा में, शुक्रवार,
12 सितम्बर को, कहा था, "हिन्दू धर्म अपनी पारम्परिक सहिष्णुता खो रहा है और यह इसलिये
कि कुछ हिन्दुओं ने यह विश्वास करना शुरु कर दिया है कि उनके धर्म ने ही उन्हें राजनैतिक
सत्ता दिलाई है तथा इसलिये भी कि शासन करनेवाले उच्चाधिकारी इस मिथ्या विश्वास एवं भ्रम
को चुनौती नहीं दे रहे हैं।"
डॉ. नरीमन ने अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा न
करने के लिये, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की भी कड़ी आलोचना की थी।
फादर हृदयम
के वकतव्य में उनके साहसिक शब्दों के लिये नरीमन की सराहना की गई और कहा गया कि उन्होंने
"असत्य होने के बजाय अलोकप्रिय होने का चयन किया जो वास्तव सराहनीय है।"
फादर
हृदयम ने कहा कि हम विधिवेत्ता डॉ. नरीमन से बिलकुल सहमत हैं कि अदालतों द्वारा अभी भी
अल्पसंख्यकों के अधिकारों को मूलभूत अधिकार माना जाता है।
उन्होंने डॉ. नरीमन
के सुझाव को दुहराते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों के साथ मिलकर चलना चाहिये
तथा बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों में विश्वास का भाव जगाने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिये।