2014-09-15 12:17:14

रेदिपूलिया, इटलीः नये ख़तरों के प्रति उदासीनता के प्रति सन्त पापा ने किया सावधान


रेदिपूलिया, इटली, सोमवार, 15 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्व से आग्रह किया है कि वह नये ख़तरों के प्रति उदासीन नहीं रहे अपितु इन्हें समाप्त करने का प्रयास करे।

शनिवार 13 सितम्बर को सन्त पापा ने इटली के रेदिपूलिया की भेंट कर प्रथम विश्व युद्ध में मारे गये सैनिकों के समाधि स्थल पर कहा कि युद्ध पागलपन है।

एक लाख इताली सैनिकों के स्मारक के नीचे खड़े होकर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "आज भी, एक और युद्ध की असफलता के बावजूद, अपराध, नरसंहार एवं विनाश सहित तीसरे युद्ध की सम्भावना प्रतीत हो रही है।"

ग़ौरतलब है कि प्रथम विश्व युद्ध में स्वयं सन्त पापा फ्राँसिस के नाना जी सन् 1915 से 1917 तक ऑस्ट्रिया-हंगरी की लड़ाई में इताली सैनिक थे। शनिवार को इताली सुरक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने सन्त पापा को उनके नानाजी के लिखित सैन्य रिकॉर्ड अर्पित किये। साथ ही अफ़गानिस्तान में विगत वर्ष मारे गये एक सैनिक के रिश्तेदारों ने उन्हें पियेमोन्ते सैन्य समूह की एक टोपी प्रदान की। रेदिपूलिया के पल्ली पुरोहित फादर दूलियो नारदिन ने बताया कि सन्त पापा के नानाजी भी इटली के पियेमोन्ते प्रान्त के थे तथा इस सैनिक समूह के सदस्य थे।

सन्त पापा को अर्पित दस्तावेज़ों के अनुसार उनके नानाजी जोवान्नी कारलो बेरगोलियो ऑस्ट्रिया-हंगरी की लड़ाई में एक रेडियो ऑपरेटर थे। 31 वर्ष की उम्र में वे सेना में भर्ती हुए थे तथा युद्ध की समाप्ति पर उन्हें अच्छे आचरण का सर्टिफिकेट तथा 200 लीरे प्रदान किये गये थे।

रेदिपूलिया के स्मारक पर ख्रीस्तयाग अर्पित कर सन्त पापा ने प्रवचन किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रत्येक युद्ध के शिकार लोगों को याद किया तथा उनके लिये प्रार्थना की। उन्होंने कहाः "आज भी असंख्य लोग युद्ध से पीड़ित हैं जिन्हें स्वार्थ, भौगोलिक एवं राजनैतिक रणनीतियों तथा धन एवं सत्ता के लालच के कारण दृश्य पटल से हटा दिया गया है।"

उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि अर्थहीन नरसंहार जारी हैं, बुद्धिहीन लड़ाईयाँ चल रहीं हैं किन्तु विश्व इनके प्रति उदासीन है। सन्त फ्राँसिस ने आग्रह करते हुए कहाः "मानवजाति को रोने की, विलाप करने की ज़रूरत है, और यह रोने का, विलाप करने का समय है।"








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